साहित्य शास्त्र परिचय | Sahitya Shstra Perichye

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Sahitya Shstra Perichye by प्रेमस्वरूप गुप्त - Premswarup Guptश्यामलाकांत वर्मा - Shyamlakant Varma

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प्रेमस्वरूप गुप्त - Premswarup Gupt

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श्यामलाकांत वर्मा - Shyamlakant Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्द साहित्य-शास्त्र परिचय रे. कह्पना ततत्र । ४. अभिव्यक्ति या शैली तसव । इन्हीं चारों तत्वों को दो पक्षों में विभवत कर दिया गया हैं । प्रथम तीन की स्थिति भाव पक्ष के अदर ही मान्य है । अतिम को कला पक्ष के रूप में मान्यता प्राप्त है । अनुभूति और अभिव्यक्ति दोनों ही पक्षों को ओचिर्य ओर लालित्य से प्रभावी और रमणीय बनाने वाली यह कला (साहित्य) लोक-मंगल का विधान करती हुई मनुष्य की सौन्दयं-चेतना को बिकसित करती है तथा उसे लोकोत्तर आनन्द प्रदान करती है । मनुष्य की विचारधारा का परिष्कार कर बहू.उसे 'सामाजिक' और 'सहुदय' की श्रेणी में ला देती हैं । साहित्य का रस-तत्त्व हमारे मन में शात्विकता का समावेश कर हमें आनम्दमर्न कर देता है कर




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