मिना | Mina
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
215
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ मंगलदेव शास्त्री - Dr Mangal Shashtri
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ८. )
विटनवग में शान्ति और स्वाध्याय का जीवन
बर्लिन में कुछ दी समय रहने के बाद उसका मन वहाँ से
उकता गया । उसने चाहा कि संपादकत्व आदि के काम से अब-
काश लेकर कुछ दिनों शान्ति और स्वाध्याय का जीवन व्यतीत
करे | इस विचार से वह विटनबग में अपने भाई के पास झा
गया, और सन् १७५१ को वहीं शान्ति के साथ स्वाध्याय में
व्यतीत किया । यहाँ बद्द प्राचीन उत्कष्ट रोमन आदि साहित्य
के पढ़ता रहा । साथ ही उसने कुछ समालोचनात्मक लेख भी
निकाले । इन लेखों के प्रभाव से वह उस समय का सब से
अधिक प्रसिद्ध और तीन्र समालोचक समझा जाने लगा |
बर्लिन में लोटना
१७५२ में व बर्लिन लौट झाया और “वोलिश ज्ञाइटुंग”
नामक पत्रिका के संबंध में उसने अपना काम पुनः शुरू कर
दिया । १७५३-१७५५ इ० में उसकी रचनाओं का संग्रह छः
भागों में प्रकाशित हुआ । इससे स्पष्ट है कि इस समय तक
उसके काफ़ी ख्याति मिल चुकी थी, और वह विभिन्न विषयों
पर अनेक अर थ ओर लेख लिख चुका था । इस संग्रह में जो
नाटक प्रकाशित हुए व उसके झपने समसामयिक गलेट ( ७1-
€ ) एलिआस श्लेगल ( 055 3०01626 ) आदि साहि-
सत्यिक मित्रों की रचनाओं से कथा की तथा नाटकीय दृष्टि से
विशिष्ट थे । तो भी उस के सुखांत नाटकों में तात्कालिक नाव्य-
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