सूर साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन | Sur Sahitya Ka Sanskritik Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रद हूं
पनास--द्ुम-गन-मध्य पल्ास-मंजरी, उदित श्रगिनि की नाइं5* |
पीपर--्रनुदिन श्रति उत्पात कहाँ लगि, दीजे पीपर को बन दाहिन 3 |
बदरी--ऊद़ि घो री कुमुदिनि, कली कट, कद्टि चदरी करवीर 3९ |
बट--कदि थो कंद, कब बकुल बट चंपक दाल तमाल5 5 |
मलय--जद्यपि मलय-बृच्छ तड काटे कर कुठार पकरे5४ |
सखिवार--पग न इत उत धरन पावत उरकि मोइ सिवार3* |
सेंवार--सुभट मन मकर श्ररु केस सेंवार ज्यों धनुष मछ चर्म कूरम बनाइ 3९ |
लवंगलता--फूते चंपक चमेलि फूलि लबंगलता वेलि सरस रसही फूल डोल5* |
ऊ. फल--अंब (बुआ, रसाल); ककरी, खीरा; दाड़िम, निवुआ, श्रीफल
आदि।
अँब--तहाँ मौरे अंब्र फूले निबुश्रा जहँ सदा फर फूले सरस रसहदी फूल डोल5< |
झंबुआ--मौरे अबुआ श्ररु दम बेली मघुकर परिमल भूले5१ |
रसाल--नव बलली सुंदर नव नव तमाल | नव कमल महा नव नव रसाल** |
ककरी--जब ले यूर कदति है उपजी सब ककरी करुई** |
खीरा--बाहर सिलत कपट भीर यौँ ज्यों खीरा की रीति** |
दाड़िम--चंपक बरन चरन कर कमलनि दाड़िम दसन लरीष5 |
निवुआआ--तहाँ मौरे झंब फूले निवुआ जहँ सदाफर फूले सरस रसहदी फूल डोलर्ड४
श्रीफल--जबहि सरोंज घरव्यी श्रीफल पर तब जसुमति गई श्राइ* |
ए.. फूल--झंबुज(--इंदीवर, कंज, कमल, कुसेसय, जलज, जलजात, तामरस,
बारिज, राजिव, राजीव, सतदल, सरोज), श्भतिसी, कदंब, कनिारी, कनीर,
कनेल,; करना, कुंद, कुमुद, कुमुद्नि, कूजा, केतकि या केतकी, केवरा, चंपक,; चमे लि
३०, सा५ र८रे | ३१, सा० १४८८३
३२, सा० १०६१ | ३३, सा० १०8१ |
रे, सा० १-११७ | इे५, सा« १-६१ |
३६, सा० ४१८३ | ३७, सा० २४१७ |
३८, सा० २६१७ | ३६, सा० र८श४ |
४०. सा०् रद४६ | ४१. सां० देर््६।
२, सा० ०४९ | ४३, सा० £-६३ |
४४. सा० २६१७ | ५, सा० ६८२ |
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