विचार दृष्टिकोण एवं संकेत | Vichar, Drishtikod Avam Sanket

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Vichar, Drishtikod Avam Sanket by पद्मचंद अग्रवाल - Padmchand Agrawalमहावीरसरन जैन - Mahavir Saran Jain

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महावीरसरन जैन - Mahavir Saran Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१. १ हे. ऐश. २६. १७५ रू ८, १६. २४, २५. २६. . ......का वस्तु एवं शिल्प-स्तर ( ख. ) तुलसी साहित्य की दाशंनिक पृष्ठभूमि -एडा० महेशप्रसाद चतुर्वेदी तुलसी-साहित्य में सामाजिक विद्रोह की मादना -डा० दशम्भुनाथ सिंह आलोचकों की दृष्टि सें रीतिकाल : एक अनुदु्टि -एडा० रमेदाचन्द्र शर्मा रोतिकाल को उत्तराधिकार में प्राप्त *उुड्ार-मावना -उडा० रमेशचन्द्र शर्मा घनानन्द : एक विवेचन --डा० पी० एल० दार्मा 'पलादा' साकेत की मानस से तुलवा एवं सौलिकता -एडा० त्रिलोचन पांडेय छायावाद पर पाइचात्य प्रभाव -सथी रमेदाचन्द्र गुप्त प्रसाद साहित्य में भक्ति और दंत --डा० द्वारिकाप्रसाद सक्सेना कासायनी में भाव एवं रस योजना -एडा० महावीरसरन जन आलोक के कवि निराला --श्री मानिकलाल गोविंद दत्त चतुवंदी २ महाकवि निराला की काव्य भाषा -एडा० अम्बाघ्रसाद 'सुमन' राम की दाक्ति पुजा : कुछ विचार थी गौतम सचदेव 'सुमन महादेवी के काव्य की पीड़ा में निह्ठित प्रेमतत्त्व -उडा४ महावीरसरन जन डै 'दीपशिखां की भाव भूसि -ए॒थी कमलकिशोर अग्रवाल हिन्वी गद्य-साहित्य के निर्माण सें द्विवेदी युग की सहुत्ता -एडा० बी० एल० कोतमिरे नाख्य परम्परा एवं प्रसाद के नाठकों --डा० महावीर सरन जन १२६ २४४ र६१ १७७ १६३ रद £ २७८ र€£ १




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