हम भारत से क्या सीखें | Ham Bharat Sa Kya Seekhen

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Ham Bharat Sa Kaya Seekha by श्री कमलाकर तिवारी

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

कमलाकर तिवारी - KamlakarTiwari

No Information available about कमलाकर तिवारी - KamlakarTiwari

Add Infomation AboutKamlakarTiwari

मेक्स मूलर - Max Muller

No Information available about मेक्स मूलर - Max Muller

Add Infomation AboutMax Muller

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
४. डे आठ में से हर एक को एक-एक अधि ने रचा है । दूसरे मंडल को गृत्समदने तीसरे को विश्वामित्र ने चौथे को बामदेव ने पॉँचवें को श्रत्रि ने छटें को भारद्वाज ने सातवें को वशिष्ठ ने आखटवें को करव ने श्ौर नवे को श्ंगिरा ने बनाया हैं ऐसी मान्यता है । ऋग्वेद में कूल १०४०२ शऋूचाएँ । ऊछ लोगों की राय में १०६९२ हैं । शब्दों की संख्या एक. लाख निरपन सइस्त्र झाठ सी हैं सभा इसमें कुल ४ लाख बीस हजार अक्षर हैं । इस पुस्तक में आशय सब्र प्रन्थों एवम उपनिषदों की भी चना यश्र तत्र आयी हैं । अतः इनका भी परिचय दें देना ने होगा 1 ब्राह्मणः--वेद के मूल को समभाने के लिये जो व्याग्या कृष्ण यजुर्वेद में दी गयी उसे कहते थे छान उन सभी को म्न्थ कहने लगे जिनमें व्याख्याशओं का मंप्रद होता था । इस प्रकार ऋग्वेद में दो घ्राद्यण हैं ऐनरेय घायाग श्र कौशी- सनक ब्राह्मण 1 इन अन्यों को देखने से प्रतीत होता हे कि ये दोनों एक ही अन्थ की दो विभिन्‍न प्रतियों हैं जिन्दें क्रम से रेल बोर कौशीनकि के लोग उपसोग में लाते थे 1. सनी के श्रर्तिम १० कौसीनकि में सहीं हैं । के पंनाविश सारश मीपागा शरीर सुर्रॉगद्ध छान्देगिय हैं । श्याम यजुरबेद को पाहा है ीर युकन या वाजसमयी संदिना का एक बड़ा भारी बह्यण है जिसे स्पथ कहते है । अववंवेद का रोपथ आदयग है हो बहुत थोई समय का बना हुआ प्रतीत होता हैं । १ हम लोग आज क्रंषि दाव्द को जिस जमे में ग्रहशा करने लगे है वेदिक कान में इस ऋषि दाव्द को उस अर्थ मे नहीं प्रयोग करने थे । ने तो उनकी कोई जाति विशेष होती भी और न ही वे अपना जीवन संसार से अलग रह कर तपस्या और प्यान में बिताते थे । इसके विपरीत ऋषि लोग संसार के व्यवह्ारी व गृहस्थ पुरुष हो होते थे जो पशुक्षों के स्वामी होते थे युद्ध करते भें कृषि करते थे और धन पशु युद्ध में विजय पुत्रप्राप्ति एवम्‌ परिवार की मंगल कामना के लिये देवठाओं से प्रार्थना किया करते थे । वास्तव में प्रत्येक कुदुम्ब का मुखिया ही ऋषि होता था और देवताओं को प्रार्थना अपने धर में ही रह कर किया करता था । वे लोग भी सांसारिक मनुष्य थे जो सर्व साधारण में मिले जुले रहते थे सममें विवाहादि करते थे और सम्पत्ति के स्वामी होते थे । इस सम्बन्ध में कुछ ऋचाओं का उद्धरण दे देना अप्रासंगिक न होगा । एक युद्धप्रिय ऋषि एक ए से पुत्र को का्मनी करता है जो मुद्ध में शत्रुओं को जीते ५ २३२ दूसरे ऋषि ६ २०.९ भन तथा लेत के लिये एक तोसरे ऋषि ९ ६९ ८ धन और स्वर्ण के लिये और एक चौथे ऋषि ६ ९२८ ५ पशु के सिये प्रार्थना करते दिखाई पढ़ते हैं । मा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now