चुनौती | Chunautii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
137
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
तकषी शिवशंकर पिल्लै - Takashi Sivasankara Pillai
No Information available about तकषी शिवशंकर पिल्लै - Takashi Sivasankara Pillai
भारती विद्यार्थी - Bharati Vidyarthi
No Information available about भारती विद्यार्थी - Bharati Vidyarthi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ चुनाती
घूरन को उस दिन का अपना सारा झतुभव याद आया ।
सब बातें सविस्तार सो को सुनानी चाहीं । लेकिन सिंक्र इतना
दी कहा, “ें किसी से कुछ मांग नद्दीं सकता ।””
सब फिर सोचने लगे । कुछ तय नहीं हो पाया । तब सूरी ने
कुछ तय करने के लिये जोर दिया |
महावीर ने कहा, “सुवद्द होसे के पहले ही हम अह्दाते के भीतर
ही कहीं क्यों न गाड़ दें ?””
चरिता ने पूछा; “वह एक अपराध होगा न ?”
महावीर--“कौन जानेगा ? हम वाहर किसी से नहीं कहें तो
ठीक है ।” बतहू ने पूछा, “उस दिन भुजंगी की स्त्री को वहीं बड़े
झाम के पेंढ़ के नीचें ही तो गाड़ा था ? चचा को भी वैसे ही
गाड़ा जाय तो क्या हज है !””
स्वों को यह प्रस्ताव ठीक जंचा । वैसा ही करने का स्ों ने
निश्चय किया । इस शत पर कि कोई बाहर किसी पर यह जाहिर
नकरे।
महावीर ने घूरन को उठाया । घूरन ने बाप की छोर देखा,
ऐसा लगा मानो वह सो रहा हो । बद्दी उसकी चिन्ता करनेवाला
एकमात्र व्यक्ति था । आगे “बापू” कहकर वह किसको पुकारेगा
र कौन उसको “बेटा” कहकर पुकारेगा ?
सब मिलकर शब को बाहर उठा ले आये और नहलाया ।.
रव्बी का चेहरा मुस्कराता-सा दीखता था । दुःख से घूरन का हृदय
फटने लगा । कफ़न के लिये उसके पास कपड़ा तक नहीं था ।
महावीर और बतहू दोनों ने मिलकर कपड़े का इन्तजाम किया ।
दो आदमियों ने फावड़ा लेकर गढ़ढ़ा खोदना शुरू किया ।
डिपो में कुत्ते जोर ज़ोर से भू कने लगे । गड़ढ़ा तैयार होने पर शव
उसमें रखा गया । घूरन ने मुट्ठी भर मिट्टी उठाकर तीन बार गढ़्ढ़े
User Reviews
No Reviews | Add Yours...