मछुआरे | Machhuaare

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Machhuaare by तकषी शिवशंकर पिल्लै - Takashi Sivasankara Pillai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डे १० मछुआरे सन्तुष्ट न होकर चक्की ने आगे कहा, “ऐसा ही है तो लड़की को बाँधकर समुद्र में फंक देना अच्छा होगा । चेम्पन ने फटकारा, ''धत तेरे की। '' यह नाव और जाल सब किसके लिए! चेम्पन ने जवाब नहीं दिया । चक्की ने सुझाया, “उस वेल्लमणली वेलायुधन के बारे में क्यों नहीं सोचते ? “नहीं, वह नहीं चाहिए ।” “क्यों, उसमें क्या कमी है ? “बह सिफं एक मल्लाह है, मामूली मललाह ।' तब बिटिया के लिए मल्लाह नहीं तो और किसे लाने जा रहे हो ?” इसका कोई जवाब नहीं था । ः माँ की यह बात कि कोई विधर्मी बेटी को कुमाे में ले जायगा; करुत्तम्मा के कानों में गूंज गई । लेकिन उसके बाप को उसका पूरा मतलब समझ में नहीं आया । करुत्तम्मा का कलेंजा धक्‌-धक करने लगा, मानों फट जायगा । विधर्मी ने क्या उस समय भी उसे कुमागं की ओर खींच नहीं लिया था ! बम्सलाार वास १ पे किम कस स्वाससविदसरिसिरिसपपपिसयदरसदससससायामामसक झ्




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