झरोखे | Jharokhe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
257
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श् भरोखे
तीन
पण्डित ज्ञाननाथ झर उसकी पत्नी कल्याणी के समक्ष उन दिनो केवल
एक ही समस्या थी जो कि उन्हे रात-दिन परेशान करती । वह पुत्र का विवाह
करना चाहते थे । यद्यपि पण्डितजी विवाह के विषय मे श्रपना श्रलग सतत
रखते थे । वह विवाह को गौण मानते थे। परन्तु कल्याणी का विचार था
कि लड़का जवान हो गया है, भ्रब पढ-लिख भी गया है, इसलिए विवाह
होना चाहिए। इस विषय मे उसका एक निजी स्वार्थ भी था । वह श्रब
वृद्ध हो चली थी | पुत्र की बहु आये, घर सम्भाले यही उसकी श्राकाक्षा
थी। पडोस में नत्दी की माँ जब अपने पोते को लेकर कल्याणी के पास
आकर बेठती तो उस फूल सरीखे खिलते बच्चे को देख, बरबस ही, उसके
मन मे बात पैदा होती कि क्या ही अच्छा होता कि वह भी अपना पोता
खिलाती । उसे गोद मे लेकर बैठती श्रौर श्रपना मन बहलाती ।
किन्तु समस्या यह थी कि लडकीवाले झ्राते, पण्डित ज्ञाननाथ से बात
करते श्रौर लौट जाते । कदाचित् इसका एक कारण तो यह था कि पण्डितजी
अपने पुत्र का सम्बन्ध जिस प्रकार के घर मे करना चाहते थे वह नहीं
सिल रहा था। उनकी आ्राकाक्षा थी कि जब उन्होने अपने जीवन-भर की
कमाई पुत्र को पढ़ाने श्रौर योग्य बनाने में लगा दी है, तो वह राशि पुत्र के
विवाह मे प्राप्त होनी चाहिए। उनके विचार में जयन्त की बहू सुशील,
सुशिक्षित भर सुन्दर तो हो ही, किसी बडे घर की भी होनी चाहिए । किन्तु
इन गुणों के साथ पण्डितजी को पंसा भी चाहिए श्रौर दहेज भी चाहिए ।
लेकिन ऐसा सयोग मिल नही रहा था । फलस्वरूप, स्वेगुणसम्पन्न बहु को
प्राप्त करना सुगम नहीं हो रेहा था ।
लेकिन उस दिन जब गाँव के चेता चमार के घर जयन्त के जाने की
बात गाँव मे फैली, वह चर्चा पण्डितजी श्ौर कल्याणी के कानों में भी' पड़ी,
तो तब निद्चय ही, पण्डितजी का मन चिन्ता से व्यग्र हो उठा कि लड़के
का विवाह कर ही देवा चाहिए । सदा की भॉति यह बात उस दिन भी स्वयं
कल्याणी ने उठाई । उसने कहा, “तुम जिस रुपये-पेसे श्रौर दहेज की बात लेते
User Reviews
No Reviews | Add Yours...