प्रकृति और हिंदी काव्य | Prakriti Aur Hindi Kavya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prakriti Aur Hindi Kavya by रघुवंश - Raghuvansh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रघुवंश - Raghuvansh

Add Infomation AboutRaghuvansh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
चिघय निर्देशक . छामुख--विषय प्रवेश--मानव की मध्य स्थिति--कायं की सीमा का निर्देश--युग की समस्या--स्वच्छंदवाद श्रौर प्रकृति- वाद--रूपात्मक रूढ़िवाद--शब्द और शैली । न्यम साग प्रकृति ओर काव्य प्रथम प्रकरण प्रकृति का प्रइन (रूपात्मक श्रौर भावात्मक) २-२८ प्रकृति क्या है--सहज बोध की दृष्टि--विवेचना का क्रम मॉलिक प्रकृरि--भौतिक तत्व और - विज्ञान तत्व--भारतीय तस्ववाद--यूनानी तत्ववाद--सहज बोघ की स्वीझति । « * झश्य प्रक़त्त-मन श्र... शरीर--समानान्तरवाद--सचेतन प्रक्रिया--दोनों ओर से--हष्टा श्रौर दृश्य--दृश्यजगत्‌ प्राथमिक गुण--माध्यमिक गुण--सामान्य श्र विशेष । ्ाध्याष्मिक प्र, त--दिक-काल का छाया रूपन--अ्रमात्मक '. स्थिति-प्रकृति का सानवीकरण--भावसगन प्रझति-- . सामाजिक स्तर--घामिक साधना । द्वितीय प्रकरण प्रकृति के मध्य में मानव २९-५० _ प्रकृति श्वज्ुला मं । जजगात्प एबकास में जानव--विकास के साथ--चेतना में दिक-काल--प्रकृति से श्नुरूपता--मानस विशिष्ट मानव । श्वच्चेचन (झात्म-चेतन) मानव आर श्रछकति--झात्म चेतना




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now