हाथ की कताई - बुनाई | Hath Ki Katai Bunai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
46 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खहददर के सम्बन्ध में अनमोल उपदेश
“हुमें आज ही विदेशी वख्रों का मोह छोड़ देना चाहिए ।
हमारी परतंत्रता का कारण यही विदेशी वस्त्रों का मोह है । इसी
सोह के कारण आज हम इतने दीनहीन हो गये हैं । इसी मोह
के कारण आज हमारे करोड़ों भाई भूखों मर रहे हैं । यही मोह
अनेक दुर्भिक्षों को न्योता दे रहा है और अनेक रोगों का पिता
है जिसके कारण करोड़ों भारतीय प्रतिवष सत्यु के मुँह में जा
' पढ़ते हैं । यही मोह हमारी तमाम विपदाओं का जनक है ।
शुद्ध पवित्र खादी ही धारण कीजिये, यहीं सब आपदाओं को
'हरण करेगी । यही आपके करोड़ों भाइयों को भीषण दुरिक्षों से
'बचावेगी और आपको स्व॒राज्य प्राप्त करा देगी ।”'
-ननवजीवन' ता० ५९ एप्रिल १९९२
घर 9 घी
बहनें इस बात का विचार क्यों नहीं करतीं कि विदेशी
' कपड़ा पहिनने में कितना पाप है ? . महीन कपड़े बिना यदि
काम नहीं चलता हो तो उन्हें सहीन सूत कातना चाहिए । घम
की रक्षा का अंश तो खियों में ही अधिक होता है । भावी
'सन्तान को हमें यह कहने का मोका तो हरगिज नहीं देना
चाहिए कि स्त्रियों के बनाव शंगार के बदौलत भारत को स्वराज्य
मिलते मिलते रुक गया ।''
-श्री० कस्तूरीबाइ गान्धी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...