हाथ की कताई - बुनाई | Hath Ki Katai Bunai

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Hath Ki Katai Bunai by रामदास गौड़ - Ramdas Gaud

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खहददर के सम्बन्ध में अनमोल उपदेश “हुमें आज ही विदेशी वख्रों का मोह छोड़ देना चाहिए । हमारी परतंत्रता का कारण यही विदेशी वस्त्रों का मोह है । इसी सोह के कारण आज हम इतने दीनहीन हो गये हैं । इसी मोह के कारण आज हमारे करोड़ों भाई भूखों मर रहे हैं । यही मोह अनेक दुर्भिक्षों को न्योता दे रहा है और अनेक रोगों का पिता है जिसके कारण करोड़ों भारतीय प्रतिवष सत्यु के मुँह में जा ' पढ़ते हैं । यही मोह हमारी तमाम विपदाओं का जनक है । शुद्ध पवित्र खादी ही धारण कीजिये, यहीं सब आपदाओं को 'हरण करेगी । यही आपके करोड़ों भाइयों को भीषण दुरिक्षों से 'बचावेगी और आपको स्व॒राज्य प्राप्त करा देगी ।”' -ननवजीवन' ता० ५९ एप्रिल १९९२ घर 9 घी बहनें इस बात का विचार क्यों नहीं करतीं कि विदेशी ' कपड़ा पहिनने में कितना पाप है ? . महीन कपड़े बिना यदि काम नहीं चलता हो तो उन्हें सहीन सूत कातना चाहिए । घम की रक्षा का अंश तो खियों में ही अधिक होता है । भावी 'सन्तान को हमें यह कहने का मोका तो हरगिज नहीं देना चाहिए कि स्त्रियों के बनाव शंगार के बदौलत भारत को स्वराज्य मिलते मिलते रुक गया ।'' -श्री० कस्तूरीबाइ गान्धी




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