कम्पनी विधि | Company Vidhi

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Company Vidhi by महेश प्रसाद - Mahesh prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कम्पनीज एक्ट [ १६५६ का ऐक्ट १ ) अध्याय--र* विषय प्रवेदय ( ए(सप९०00ए0101४ ) . सक्षिप्त इतिहास--रंग्लैय्ड में व्यापार के लिए: उवाइन्ट-स्टाक कम्पनियों का निर्माण कई शताब्दियों पहिले शुरू हुआ था । उस देश में १८५५ तक भी सीमित दायित्व का विशेषाधिकार नहीं प्रदान किया गया था | मारत में ज्वाइन्ट-स्टाक कम्पनियों के रजिस्ट्रशन के लिए, इंग्लिश कम्पनीज ऐक्ट, १८४४ के लाइन पर पहली बार १८४५० में एक्ट पास किया गया था । १८३७ में जवाइन्ट-स्टाक कम्पनियों तथा श्रन्य संस्थाओं के निगमन ( इन्कारपोरेशन) तथा विनियमन ( रेगूलेशन ) के लिए, उनके मेम्बरों के सीमित दंयित्व सहित अथवा बिना इसके, पास किया गया; लेकिन सीमित दायित्व का विशेषाधिकार किसी बैंकिंग या बीमा कम्पनी को नहीं दिया गया था । लेकिन, इंग्लिश ऐक्ट, +८५७ के लाइन पर १६६० के ऐक्ट ७ को पास करके इस निर्योग्यता को समाप्त कर दिया गथा । इसके बाद १८६६ में इंग्लिश ऐक्ट, १८६९२ के लाइन पर विस्तृत ऐक्ट पास किया गया । इस ऐक्ट द्वारा व्यापारिक कम्पनियों तथा श्रन्य संस्थाश्रों के निगमन, विनियमन, तथा समापन ( वाइन्डिंग श्रप ) संबंधी कानून को संशोधित तथा इकट्ठा किया गया | की १८६६ के ऐक्ट को १८८२ में फिर से. ढाला, गया श्रौर अन्य संशोधी झचि- नियम पास होते रहे जब तक कि १६१३ का ऐक्ट ७ पास नहीं हुआ; जो, कि इंग्लिश कम्पनीज ( कानसोलिडेशन ) ऐसक्ट; १६०८ की; , एक , प्रकार से नकल थी। १६३६ के ऐक्ट ७ द्वारा १६१३ के ऐक्ट में व्यापक संशोधन किए. गए, जो बिलकुल १६.२६. में इंग्लिश ऐक्ट पर ्राघारित थे। इसके बाद भी 'कई सेशोधी बधिनियमों द्वारा इसमें संशोधन किए. गए. । श घट का ऐवट-सह समेकन करने वाला ऐफक्ट द्द तौर इसमें इस समय. तक कम्पनियों के सभी कानून को समाविष्ट किया गया है ।..इस 'ऐक्ट ,ले इसिडिसन |:




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