हमारा परमाणुकेन्द्रिक भविष्य | Hamara Parmanukendrik Bhavishy
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अल्वर्ट एल. लैटर - Albert L. Latter
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एडवर्ड टेलर - Edward Teller
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परमाणु... ... ११
की 'व्याख्या करती. है । विज्ञान की सुन्दरता इस बात को “लेकरें 'है' कि हमारि
अत्यधिक रोचक प्रश्नों के सद्दी उत्तर आइ्चयैजनक रूप से सरल सिद्ध हए हैं | '
एक परमाणु को समझने के लिए, यह आवश्यंक है कि एक न्यष्टि के इर्द-गिर्द
इलेक्ट्नों के वितरण को समझा जाये । एक अणु (206८० ) को समझने
के लिए दो या अधिक न्यथटियों के इर्द-गिर्द इेक्ट्नों के वितरण को समझना
पढ़ेगा । एक परमाणु का रासायनिक आचरण ( (ए८एंट्वा 960घएं0घा' वह
रीति है, जिसमें वह दूसरे परमाणुओं के साथ क्रियादयील होता हे | इसका अर्थ
' है,-वह निद्चित टंग, जिसमें इलेक्ट्न, दो या अधिक परमाणुओं के इकट्ठा होने .
पर, अपने को. पुनरव्यवस्थित करते हैं । परमाणुओं का परस्पर-व्यवहार मुख्यतः
उनके सर्वाधिक बाह्यवर्ती ( 0पर(ड0005: ) इलेक्ट्नों के मध्य होता. है । ऐसा
भी हो सकता है कि दो बिव्कुल प्रथकू परमाणु, 'जिनकी .न्यष्टियाँ विभिन्न विद्युत
परिमाणवाली हों और जिनके इलेक्ट्नों की .संख्या -भिन्न हो, अपने सर्वाधिक
बाह्यवर्ती इलेक्ट्रनों की बनावट में समानं हों । ऐसी अवस्था. में दोनों परमाणु
समान रासायनिक शुण “यक्त करते हैं । -उदाहरंणस्वरूप, तीन इकाई विद्युत '
परिमाणवाला * लिथियम * और ११ इकाई विद्युत-परिमाणवाला * सोडियम.”
( 50०फंण्ण ); साथ ही, दो इकाई विद्युत-परिमाणवाला ' देलियम * और दस
इकाई विधुत्-परिमाणवाला ' न्योन * ( ००० ):। हमारे समझने के छिए; इस
दृष्टि से एंक सर्वाधिक, महत्वपूर्ण 'दृष्टान्त, रासायनिक दृष्टि से समान तीन'
परमाणुओं का समूह है-* कैल्यियम ? -( 0बालंपण 2 विद्युत्-परिमाण २०
इकाई, स्ट्रानस्यिम ( 500प्र्तंपए। ) विद्युत्तपरिमाण ३८ इकाई और रेडियम
( उपाए ) विद्युत्-परिमाण ८८ इकाई ।
_ जब दो. या अधिक परमाणु समीप आते हैं - व्वाहे वे समान हों या विभिन्न --
तब उनके इलेक्ट्न - विशेषतः संवाधिक, वाह्यवर्ती * इलेक्ट्रन -अपनी गति की
उस अवस्था को छोड़ कर, जिसमें वे एक न्यष्टि के-पास रहने पर रहते है, गति -
की नयी अवश्थाएँ अपना लेते हैं । अब यह सम्भव है कि गति की इन नयी
अवस्थाओं में से कुछ, प्रथकू परमाणुओं की अवस्था से भी अधिक स्थिर हों ।
ऐसी दा में परमाणु एक साथ रहने की प्रबत्ति दिखायेंगे और इलेक्ट्न गति
की कोई ऐसी अवस्था अपनायेंगें, जो अधिकतम ' स्थायित्व यिक हों |,
' परमाणुओं की यह सम्बद्ध-प्रणाढी अणु ( 10166एण८ ) कहलाती है और इसकी
अधिकतम स्थायित्व की अवस्था. अणु,की मौलिक अवस्था” ( (जए०एएत व ,
0 घ06 फ्06८006 ) के नाम से जानी जाती है । ः
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