हमारा परमाणुकेन्द्रिक भविष्य | Hamara Parmanukendrik Bhavishy

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Hamara Parmanukendrik Bhavishy by अल्वर्ट एल. लैटर - Albert L. Latterएडवर्ड टेलर - Edward Teller

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

अल्वर्ट एल. लैटर - Albert L. Latter

No Information available about अल्वर्ट एल. लैटर - Albert L. Latter

Add Infomation About. Albert L. Latter

एडवर्ड टेलर - Edward Teller

No Information available about एडवर्ड टेलर - Edward Teller

Add Infomation AboutEdward Teller

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
परमाणु... ... ११ की 'व्याख्या करती. है । विज्ञान की सुन्दरता इस बात को “लेकरें 'है' कि हमारि अत्यधिक रोचक प्रश्नों के सद्दी उत्तर आइ्चयैजनक रूप से सरल सिद्ध हए हैं | ' एक परमाणु को समझने के लिए, यह आवश्यंक है कि एक न्यष्टि के इर्द-गिर्द इलेक्ट्नों के वितरण को समझा जाये । एक अणु (206८० ) को समझने के लिए दो या अधिक न्यथटियों के इर्द-गिर्द इेक्ट्नों के वितरण को समझना पढ़ेगा । एक परमाणु का रासायनिक आचरण ( (ए८एंट्वा 960घएं0घा' वह रीति है, जिसमें वह दूसरे परमाणुओं के साथ क्रियादयील होता हे | इसका अर्थ ' है,-वह निद्चित टंग, जिसमें इलेक्ट्न, दो या अधिक परमाणुओं के इकट्ठा होने . पर, अपने को. पुनरव्यवस्थित करते हैं । परमाणुओं का परस्पर-व्यवहार मुख्यतः उनके सर्वाधिक बाह्यवर्ती ( 0पर(ड0005: ) इलेक्ट्नों के मध्य होता. है । ऐसा भी हो सकता है कि दो बिव्कुल प्रथकू परमाणु, 'जिनकी .न्यष्टियाँ विभिन्न विद्युत परिमाणवाली हों और जिनके इलेक्ट्नों की .संख्या -भिन्न हो, अपने सर्वाधिक बाह्यवर्ती इलेक्ट्रनों की बनावट में समानं हों । ऐसी अवस्था. में दोनों परमाणु समान रासायनिक शुण “यक्त करते हैं । -उदाहरंणस्वरूप, तीन इकाई विद्युत ' परिमाणवाला * लिथियम * और ११ इकाई विद्युत-परिमाणवाला * सोडियम.” ( 50०फंण्ण ); साथ ही, दो इकाई विद्युत-परिमाणवाला ' देलियम * और दस इकाई विधुत्‌-परिमाणवाला ' न्योन * ( ००० ):। हमारे समझने के छिए; इस दृष्टि से एंक सर्वाधिक, महत्वपूर्ण 'दृष्टान्त, रासायनिक दृष्टि से समान तीन' परमाणुओं का समूह है-* कैल्यियम ? -( 0बालंपण 2 विद्युत्-परिमाण २० इकाई, स्ट्रानस्यिम ( 500प्र्तंपए। ) विद्युत्तपरिमाण ३८ इकाई और रेडियम ( उपाए ) विद्युत्‌-परिमाण ८८ इकाई । _ जब दो. या अधिक परमाणु समीप आते हैं - व्वाहे वे समान हों या विभिन्न -- तब उनके इलेक्ट्न - विशेषतः संवाधिक, वाह्यवर्ती * इलेक्ट्रन -अपनी गति की उस अवस्था को छोड़ कर, जिसमें वे एक न्यष्टि के-पास रहने पर रहते है, गति - की नयी अवश्थाएँ अपना लेते हैं । अब यह सम्भव है कि गति की इन नयी अवस्थाओं में से कुछ, प्रथकू परमाणुओं की अवस्था से भी अधिक स्थिर हों । ऐसी दा में परमाणु एक साथ रहने की प्रबत्ति दिखायेंगे और इलेक्ट्न गति की कोई ऐसी अवस्था अपनायेंगें, जो अधिकतम ' स्थायित्व यिक हों |, ' परमाणुओं की यह सम्बद्ध-प्रणाढी अणु ( 10166एण८ ) कहलाती है और इसकी अधिकतम स्थायित्व की अवस्था. अणु,की मौलिक अवस्था” ( (जए०एएत व , 0 घ06 फ्06८006 ) के नाम से जानी जाती है । ः




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now