सती चंदनबाला | Sati Chandanbala natak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.68 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ [ सती चन्दुनवाला ।
हिंसा-स्लाली ,खूली श्रद्धा और धार्मिक प्रेम हमें कुछ लाथ नहीं
पहुंचा सकता यदि हम अपनी श्रद्धा और प्रेम का खुचूत
देना चाहते हैं तो इस श्रद्धा और प्रेस पर हमें ऐसी चस्तु का
चढडिदान देना चाहिये जो दुन्सि में सचसे अधिक प्यारी हो,
और ऐसी वस्तु जीवन के सिवा और कोई नहीं |
अहिंसा-वस ! चस !! यह' बकवास वन्द् कर अपने गर्दे सुंद से
पेसे कठोर शब्द निकालकर संसार की हवा को जहरीली न
चना, धर्म और देवताओं के नाम पर यूंगे, पशुभों और निर्दोष
मचुष्योंका रक्त बहाना सब पापोंसे अधिक घोर पाप और अत्या-
सार है। हमें चुद्धि और ज्ञान से काम लेकर थे विचार करना
्रादिये कि जिन महा पुरुषों ने दूसरे सनुप्योंका उद्धार करने,
उन्हें अन्याय, पाप और संसार की सारी घुराइयों से वचाने के
लिये अपना जीवन अपंण कर दिया, वह हमारे घस काय से
खुली होंगे या दुःखी |
जुद्स की आशा, दया और धर्म के अवतार से १
देवता को चास्ता ? पाप आतौर अत्याचार से?
जग में जो आए, अहिंसा धर्म के प्रचार को ।
है यह अनद्दोनी, चह, खेंचे म्यान से तलवार को ॥
हिंसा-वास्तव में शारत जव से ज़मीन पर “दया” के मनहसस शब्द
ने जन्म लिया है, इस देश की तमास बड़ाई और शोभा मिट्टी में
मिल गई, भीम की थदा, अर्जुन के दाण, वीरों की चीस्ता और
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