वीर विनोद | Veer Vinod
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.84 MB
कुल पष्ठ :
493
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जेम्स टॉड - James Tod
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रघुवीर सिंह - Raghuveer Singh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)5
म्ररावली पर से श्रजमेर को खेंची जाय । ईशान कोंता की आर भुकाव साधा-
रण है, परन्तु वरावर एकसा है । उदयपुर नगर समूह की सतह से 1,957
फीट श्रौर देवली जो ईशान कोंण के सिरे पर है, 1,112 फीट ऊंचा है ।
इस ऊंचे हिस्से को पार करने के पश्चात् देश की सुरत व शक्ल बहुत
बदली हुई है । यहां श्रच्छे खुले हुए ऊंचे-तीचे मेदानों के स्थान पर दक्षिण
श्रौर पश्चिम का हिस्सा चट्टानों, पहाड़ियों श्र घने जंगलों से ढका
हुमा है ।
श्ररावली पहाड़--जो पश्चिमी किनारे पर मेरवाड़ा में से होकर
निकलता है, राज्य के विलकुल नैऋत्य कोंण व दक्षिसी हिस्सों में श्रर्थात्
नैकऋत्य कोंग़ की तरफ डूगरपुर के किनारे पर सोम की तराई तक झौर
दक्षिण की तरफ माही की तराई तक फैला हुम्रा है, श्रन्त में श्रग्निकोंशा की
श्रोर जाखम! नदी की तराई के निकट विन्ध्याचल का हिस्सा बनाने वाली
पहाड़ियों के साथ मिल जाता है । देश के दक्षिणी हिस्से का कुछ वहाव ढेवर
(जय समुद्र) तालाव में रुक जाता है, शेष सारा वहाव जाखम श्रौर सोम नदी
में होकर माही में जाता है श्रौर वहां से खंभात की खाड़ी में पहुंचता है ।
इस तरफ देश बहुत नोचा होता चला गया है । सोम की ऊंचाई समुद्र की
सतह से केवल 650 फीट है । यहां तक ऊपर वथान किये हुए टीले से 25
मील में 950 फीट का ढाल है । ग्र्थात् प्रतिमील करीब 40 फीट का ढाल
है। इसके श्रागे वानसी से धरियावद तक 17 मील की दूरी में 850 फीट
भ्र्थात्त् प्रतिमील 50 फीट ढाल है। इस प्रकार झुकाव का एक दम
बढ़ जाना निः्संदेह प्रदेश के इस विकट पहाड़ी टुकड़े के कारण ही है ।
प्रारम्भ में यह क्षेत्र 10 या 12 मील तक थोड़ा बहुत जंगल से ढका हुमा है
और पहाड़ियां लगभग चरावर ऊंचाई की हैं । लेकिन दक्षिण की तरफ से
पहाड़ी श्रू खलाएं ऊंची होती चली गयी हैं या यह कि घाटियां नीची होती
' जाती हैं, जहां ऊपरी हिस्से की भ्रपेक्षा जंगल अधिक सघन है। इस ऊंचे-नीच
हिस्से को पार करने श्रौर सोम के पास वाले क्षेत्र में पहुंचने के वाद धरती
बहुत खुली हुई है । जिसमें वहुत से गांव हैं, श्रौर खेती वाड़ी भी भली-भांति
बनटयलवस्वगसरिननस
1... जाखम नदी, पर वतंमान में वांसवाड़ा के पास बांध बना दिया
गया । (सं)
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