सुनो कहानी मनफर की | Suno Kahani Manfar Ki
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
817 KB
कुल पष्ठ :
60
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र सुनो कददानी मनफर की
सन् १६५५ में सरकार ने इस जगह एक श्राहर बाँघने की
योजना स्वीकार की । पहाड़ी से थोड़ी टूर हटकर: उस
तलहदी में एक बाँघ वाँघा गया । इस पर काम करते
कुल लागत करीब दे, ४०० रुपये हुई ।
पास में बहनेवाले एक छोटे नाले पर चाँघ डालकर
उसका पानी भी इस श्राहर में ले श्राया गया । इससे पानी
का संचय श्रीर बढ़ गया । इस नाले को बाँधनें का ख्चें
करीब ६५० रुपये हुआ !
तालाव वनने के वाद भी श्रीर नाले का पानी उसमें
ले श्राने के वाद भी सिंचाई के लिए काफी सुविधा गाँव में
त हो पायी । तब गाँववालों नें सोचा कि पास में जो छोटी
नदी बह रही है, उसी पर यदि बाँध डाला जाय श्रौर जरू-
रतमर पानी तालाव में लेकर बाकी पानी वापस नदी में
छोड़ दिया जाय, ती पचाई की समस्या काफी हुद तक
सुलभ सकेगी 1 क्षेत्रीय धिकारियों ने इस योजना
के लिए विशेष उत्साह न दिखाया । तो भी गाव के
उत्साह फो देखते हुए कार्यकर्ताओं नें गाँव के सामूहिक श्रम
के भरोसे पर ही नदी पर बौघ डालने को योजना मंजूर
कर ली । गांव-सभा का प्रस्ताव किया गया ौर दो ये
लगातार गाँव के हर परिवार ने इस काम के लिए धमदान
किया । सन् १९६० श्र १६६१ में वॉध के लिए मिट्टी
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