मेघ कुमार | Megh Kumar

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Megh Kumar by छोटेलाल - Chhotelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समघकुमार ्े वाला या पूछा जाने वाला नही था कितु पिता के सम्पूर्ण राज्य की, उनके अधीन दूसरे राट्री की, खजाने की, राजकीय अन्न भणडार की सेना की, वादनो की, प्रत्येक नगर तथा गांव की, और राजा श्रेणिक के अन्त पुर की भी व्यवस्था उसी के हाथ में में थी । राजा श्रेणिक के धघारिणी नामक एक अदिप्रिय रानी और । थी राजा ने अपनी सब रानियों के लिये अलग-अलग राजभवन निमाण करवाये थे । सारे राजभवन भीतर और बाहर उज्ग्बल थे । उनकी तल भूमि बडी मजबूती से वनवाड गई थी, उनके दरवाजे खिड़कियों, भरोखे और गोखडों आदि पर नाना प्रकार के चित्र और खुदाई के काम किये हुए थे । महल के प्रद्येफ कमरे की छता में चंदवे टगे हुए थे । अत्येक कमरे में गिरंदर रोग नाशक तथा सुगन्धिकारक धूप निरंतर जला करती थी | ब्दीं फी प्रस्येक खिड़की और दरवाजों पर अनेक प्रकार के मुन्दर चित्र अलग-अलग प्रकार के रे हुए परदे बे हुए थे । ७५ देवी रहती थी । एक के इसी प्रकार के एक महल में घारिणी त्रि को मन्छरदानी से ढक्के हुए, सुवासित एवं नरम दाग पर अब जागूत अवस्था में शयन कर रही थी । उरा नव ञ्् वार. समय रात्रि के पूर्व भाग के अन्त में तथा दूसरे भाग के प्रारम्भ प्र एक सब ललग्ग सम्पन्न, चांदी के ढेर के समान राफेद और सात दाव अच्चा गतराज अपने मुख मे म्रयेश कर रहा है ऐसा




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