प्रार्थना | Prarthana

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Prarthana by छोटेलाल - Chhotelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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का [ रेप | ज्यूं-लोभी मन 'घनकी लान्सा,- भोगी के मन भोग । रोगी के सन माने औषधी . : जोगी के सन जोंग ।॥घ०॥। हे ॥ इणु पर लागी हो पूरण' प्रीतडा, जाव जीव :परियंत 1 भव-भव, चाहूँ हो न पढ़े. ांतरो, भंय -मंजना भगवंत ॥घ०॥ ४ ॥। काम क्रोध सद मच्छर लोभ. थी, .कपटी कुटिल “कठोर । इस्यादिक अवगुण व.र हूँ भर'यो; उदय कसेके जोर । घ०॥ %५॥। तेज प्रताप तुमासे -प्रगटै, मुज हिवड़ा में झाय ॥ तो हूँ 'आंतम निज शुग सं मालने अनंत बली कहियाय ॥च०॥। ६1) भानू' चूप “सुन्नत्ता”: जननी तणों, अज् जाति अभिराम 'बिनयचंद ने बम तू.प्रभू ,-सुघ चेतन शुण घास ॥घ०॥ ७ ॥। १६--शआ्र शातिनाथ-स्तवन _( प्रभूजी पघारों हो नगरी -हसतणी एदेशी *) ' “विश्व सेन” दूप “अचला” पटरानी ।। तासु सुन कुल सिखगार-हो सोमागी । क जनमंतां शान्ति करी सिज देसमें ॥। मरी सार .निवार हो . सोभागो । ं ं शान्ति जिसेश्वर. साहिब सौलमां ॥ १ ॥ शान्ति दायक. तुम नाम हो. -सोभागी ।॥ तन सन बचन सुध कर 'ध्यावता ॥ पूरे सघली. छास हो. सोभागी ॥ र.॥ - . विघन न ब्यापे लुम सुमरन : कियां। '' .. . ..- नासे -दारिद्र दुख हो, - सोभांगी ॥ -




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