प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास | Prakrit Bhasha Aur Sahitya Ka Aalochanatamak Hitiyash

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Prakrit Bhasha Aur Sahitya Ka Aalochanatamak Hitiyash  by डॉ नेमिचंद्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३) अध्याय ४ प्राकृत-चरितकाव्य 'चरिंतकाव्यों के प्रबन्धप्रारूप चवर््तिकाव्य के तत्त्व पउसचरियं : रचयिता पंडमचरिय : कथाचस्तु पउमचरियं . समीक्षा पजमचरिय : प्रकृतिचित्रण पंदमंचरिय अेकारयोजना पमचरियं: प्रमुख विशेषताएं सुरसुन्दरीचरियं - स्वरूप और रचयिता परिचय और समीक्षा सुपासनाहचरियं रचयिता सुपासनाहच्यिं : कथावस्तु सुपासनाहचरियं . आलोचना सिरिनिजयचंद केवलिचरिय * स्वरूप और रचयिता सिरिविजयचद केवलिचरियं * परिचय और आउोचना महावीरचरिय * रचयिता का परिचय महाबीरचरिय : कथावस्तु और आछोचना सुदसणाचरिय . रचयिता का परिंचय कथावस्तु और आलठोचना कुम्मापुत्तचरियं रचयिता, कथावस्तु और आलोचना अन्य चरितकाव्य गय-पद्य-मिश्रित चरित-काव्य चेउप्पन-महापुरिंसचरियं : परिचय और समीक्षा जंबुचरिय - परिचय और समीक्षा स्यणचूडरायचरियं . परिचय और समीक्षा सिरिपासनाहचरिय परिचय और समालोचना मंद्दावीरचरियं : परिचय और आठोचमा रे ०८ ३०५९, ३१० ३१२ रे ३१४ ३१७ ३१५ ३१९ ३२० २२३ ३२३ रे ३२६ ३२७ २३० रे३े० ३३१ ३३२ २३३ ३३५ रेरे७ रेट रेधे ३४६ २, ३५६




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