मैं तुम्हें क्षमा करूँगा | Main Tumhen Kshama Karunga
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हु
मैं भा मानव हू
जशोर मेरा पतन * भारत मश्राट वा पतन ? बमस्मय | बंदी,
असम्भव
यूमार जमम्भव नहीं अशोक । वह पूरी तरह सम्भव हो चुरा है।
की लाया मनुष्या था रक्त हुम्हार पतन की घोषणा पर रहा
हैं। लाखा घायला का बराह में तुम्हार पतन का स्वर
गज रहा है। ललनाओ बी सूनी मागा मे, माताओं की
छाली गोदिया म, शिशुआ वी निरीह शूय दप्टि म, गेंद
बही तुम्हार पतन पी बहानी जवित्त है | वलिंग वे' उजडे
हुए ग्राम, वीरान प्रण य सय तुम्हार पतन च साथी ह।
तुम जीतकर भी हार गय हा एशोव । आर वलिंग मिटेकर
भी अमर हो गया है ।
अशोन हार गया है। कलिंग अमर हा गया ह। (अठटहास)
हंस नो, जितना हँस सरो हस ला। लर्फिन मगध म तुम्हू
यह हसी नहीं मितरगी। वहाँ क मांग रक्त से रग पड़े हैं।
तुम्हारं मिहासन के चारा आर लाशा व ढेर लग हुए हु ।
बरीगहा से उठती हुई बराह न सार चातावरण का
विपाक्त बना दिया है। अशोक नुमन फ्तिंग की धरती
ही जीता है आत्मा को नहीं । धरती की जीन को तुम जीत
कहत हो ।
जशोप
बमार
राधागु्त जोत नहीं ता बोर क्या है” था मा को किसन देखा है?
शरीर सय है। उसरी जय सच्ची जय है। तुम्हारे इस
शब्त जाव से तुम्हारी पराजय जय म नदी पलट सबती
जुमार।
बुमार
राधायुप्त
बुमार
मरी पराजय * मुे दिमन परानित दिया हैं सहामात्य *
भारत सम्नाट महाराज जन्ञाव न आर बिसने हे
'सघागुप्त जिम बलिंग को सोलह राज्या को उयाद फेंक्रन
बाला त्तम्हारा तुर पराजित नहीं पर सबा जिसने संदा
चुग्तारी सत्ता वा चुनौवी दी ह उस वाई भी बसी भी
पराश्ति नहीं कर सफ्त”। मैं आानिम वार तुमसे वह दना
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