ऐतिहासिक भौतिकवाद (समाज के मार्क्सवादी सिध्दान्त की रूपरेखा ) | Etihasik Bhautikwad Samaj Ke Markswadi Sidhdant Ki Rooprekha
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
409
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इंडवाद की व्याख्या की । इससे भौतिकवाद गुणात्मक दृष्टि से एक नईं सतह
पर पहुंच गया तथा द्वद्ात्कक वन गया । अपने इस रूप से भौतिकवाद ने
चज्ञानिक भ्रनुसघान के लिये एक सच्चा दाशनिक तथा सैद्धातिक आधार
तथा भाववाद के विरृद्ध सघप म एक कारगर श्रस्त्र प्रदान किया!
दढ्वात्मक भौतिकंवाद की उपलब्धि के साथ एक श्र बात जुडी हुई
थी. वह यह कि दशनशास्त्र में मनुष्य का समावेश एक सक्तिय सामाजिक
प्राणी क॑ रूप मे हुमा, जो श्रपने बम द्वारा व्यवहार में विश्व का रूपातरण
करता हैं। कम प्रधानतया भौतिक उत्पादन के विश्लेषण से वस्तुगत रूप
से झस्तित्वमान यथाथ की श्रवधारणा को मानव चिन्तन के सनिय पक्ष सै
| जोड़ने मे सहायता मिली । मानव कम की सही समझ स्तान के वज्ञानिक
सिद्धात तथा सज्ञान के पूरे इतिहास दोना के लिये प्रारम्भिक विद का काम
देती है।
यहां कुछ देर के सिये मूल दाशनिक धारणाय्ा के क्षत्र मे इसलिये
जाना पडा कि श्रागे की विवंचना पर श्रधिक प्रकाश डाला जा सके क्याकि
हम इन घारणाओा का शअ्रक्सर प्रयाग करना पडेगा। यह एक ऐसा विपय
है जिमम दाशनिक शब्दावली का प्रयोग किये बिना काम नहीं चल सकता!
दशन मे सामाय सामाजिक सिद्धात शामिल हु, श्रौर उनके रचयिता जिते
टाशनिक उसूला को लेगर चलते ह उनका प्रभाव स्वय इन सिद्धाता के सार
तत्व पर तथा विभिन्न समस्या के समाधान की दिशा पर पढ़ता है।
सामाजिव विकास के माक्सवादी सिद्धात - ऐतिहासिक भौतिकवाद ( इतिहास
के भोतिकवादी दष्टिकोण ) का स्वरूप भी दाशनिक है।
इस प्रकार सामाजिन सत्तान के इतिहास म ये बाते शामिल हू प्रयम,
एतिहासिक विज्ञाना का विवास , दूसरे , ठोस सामाजिव' वितानों का विकास
पीर, तीसर सामान्य धारणामा के निर्माय का वारस्वार प्रयास , जिनसे
सम्पूण सामाजिव' प्रकिया का एव सश्लिप्ट दृष्टिकाण प्राप्त हो सके। यहां
हम सवस मधिक दिलचस्पी सामाजिय वित्तान के इस सीसर मौलिक क्षत्
से हे।
दाशनित-ऐतिहासिय सिद्धात ता बहुतरे हात ह परन्तु वास्तविवा सत्य
एक ही होता है। इसलिय स्वाभाविय रूप स यह सवास पैँथा हाता है
क्या फिसी एस सामाय सिद्धात का सृष्टि करना सम्भव भा है, जा
पास्तसिकता के भनुकूच हो? कया यह समयना भधिय सहज नहा हागा
थक
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