सागरधर्मामृत | Sagar Dharmamirit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sagar Dharmamirit  by लालाराम जैन - Lalaram Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लालाराम जैन - Lalaram Jain

Add Infomation AboutLalaram Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
द्ठिवे है पे दे९ट रेस ३९५ दे ४० दे 9 रे जे प््खद डे ने नटट पक्ति। पद १ पु बम पेड के १८ १ पट मे पृ कि. पच ७ १६ पु शुच्चिफक्र । “पिन अशुद्ध ॥ सीभा इिंसादी जल वावबुल अडुर श्हमका ग्व्रकमा प्रोपघोग्रवास जान्स्य न््त नब यलपूव झुद्यन दिसल्‍से नघ पम्प जे झ्म्र सचिनाधिघान दीत्या ऐपघ्रणा तलर इसी झुद्ध । सीमाके हिंसादि उस ताबूल सवृरे हनका ग्यरकर्म ग्राष योपबास जाल्स्यका छोटकर सवा यायम लान होते हुय उस सविका ज्र्त सम यतलपूपक रु युक्त दिस्वा यूत जघ मु्य मरे सचित्ताधिघान दारया छघणा तपर झ्सी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now