ताल्सताय की श्रेष्ठ कहानियाँ | Taalstaaya Ki Shreshtha Kahaniaan

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Taalstaaya Ki Shreshtha Kahaniaan by राजनाथ - Rajnath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ १३. . लगे । लाल दाढ़ी वाले ने सिफे अपनी आाँखें सिकोदीं और जबान चटखाई । कुछ देर बाद वे लोग खामोश हुए और दभाषिए ने कहा- मालिक के लिए पाँच सो रूबल काफी नहीं होंगे । उसने तुम्हारे लिए खुद दो सौ दिए हैं । काजी सुहम्मद उसका कर्जदार था आर अब्दुल ने तुम्दें कर्ज के भुगतान में ले लिया है । तीन हजार रूबल इससे कस में काम नहीं चलेगा । अगर तुम लिखने से इन्कार करोगे तो तुम्हें एक गढ़े में डाल दिया जायगा और कोड़ों से सार लगाई जायगी । उंह सिलिन ने सोचा जितना. ही ज्यादा कोई इनसे डरता है उतना ही नतीजा खराब निकलता है ह इसलिए वह उछुल कर खड़ा हो गया और बोला तुम उस कुत्ते से कह दो कि अगर वह सुके घमकाने की कोशिश करेगा तो में कुछ भी नहीं लिखंगा और उसे कुछ भी नहीं मिलेगा । में तुम कुत्तों से कभी भी नहीं डरा और न कभी डरू गा । दुभाषिए ने अनुवाद किया झ्ौर फिर वे लोग एक साथ बोलने लगे । वे ल्लोग बहुत देर तक बड़बढ़ाते रहे और तब वह ॒साँवला व्यक्ति उछला भिलिन के पास आया और बोला- ढिजिट रूस ढिजिट रूस 1 ? उनकी भाषा में ढिजिट का अर्थ है बहादुर और हैँसा और दुभाषिए से कुछ कहा जिसने अनुवाद किया एक हज़ार रूबल से वह सन्तुष्ट हो जायगा । सिलिन अड़ा रहा में पाँच सौ से ज्यादा नहीं दूँगा और शरगर तुम मुझे सार डालोगे तो तुम्हें कुछ भी नहीं मिलेगा । तातारों ने कुछ देर झापस में बातें कीं फिर नौकर को कुछ लाने के लिए भेजा और कभी दरवाजे की तरफ और कभी सिलिन की तरफ देखने लगे । नौकर लौटा और उसके पीछे एक मोटा नंगे पेर चिथड़े पहने हुए झादसी आया जिसके पेरों में भी बेड़ियाँ पढ़ी हुई थीं । - सिलिन आश्चयं से स्तम्मित रह गयाः यह कोस्तिलिन था ।




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