नागरिक सिद्धान्त | Principles of Civics

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Principles of Civics by गोरखनाथ चोबे - Gorakhnath Chobey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नागरिक शासन, तात्पये, क्षेत्र तथा अन्य विषयों से सेबन्ध 9 समाज का कोई कल्याण नहीं हो सकता । प्रत्येक शाख्र 'सपना दो पहलू रखता है--एक सावास्मक, दूसरा क्रियात्सक । पाले में उसके सिद्धान्तों तथा गूढ रहस्यों की व्याख्या रहती है तथा दूसरे में उन्हें कार्यान्वित करने की क्रियाओं का चणेन रहता है । दोनों की जानकारी के बिना शाख्र में पूणता नहीं 'आती । उदाएरण के लिये गणित शास्त्र को ले ले । यदि लघुनम, महत्तम, न्याज, लाभ- हानि, क्षेत्रफल आदि प्रश्नों को हम अच्छी तरह समझ ले' तो जीवन मे इसकी उतनी उपयोगिता नहीं है जितनी घास्तविक रूप में होनी चाहिये । एक वैज्ञानिक गणित के प्रश्नों को हल करने के लिये गणित शास्त्र का अध्ययन नहीं करता । उसका उद्देश्य वैज्ञानिक झनुसन्धानो में गणित शास्त्र के सिद्धान्तों का उपयोग करना होता है। नागरिक्र शास्त्र के भी दो पहलू ऐ । एक मे सिद्धान्तों तथा नियमों का वर्णन होता है जिनकी जार- कारी के बिना सामाजिक ज्ञान अधूरा रद जायगा। लेफिन इसका क्रियाटमक पहलू पहले से कहीं '्ावश्यफ है। बातों क्रो जानकर उन्हे ठुकरा देने से कोई लाभ नहीं । यदि हम सत्य बोलने के लाभ-हानि पर रोज विचार करे और इस पर 'छानेफ मुस्तके भी पढ़ जायें, परन्तु छोटी-छोटी बातों के लिये भूठ बोलते रहे तो हमारी सत्य की जानकारी से क्या लाभ ? या कौन नहीं जानता कि माता-पिता तथा गुरु के प्रति '्मादर-भाव रखना चाहिये । यह किसे नहीं मालूम है कि श्रपने श्रढ़ों करा सम्मान करना चाहिये । भावात्मक रूप में यद धान सभी जानेसों हैं कि जहाँ जैसा अवसर हो वहाँ उसी प्रकार का व्यवहार फरसी साहिये । परन्तु कार्य रूप में समाज में कुछ श्रीर ही टिखाई पढ़ता है । इसका कारण यहीं है. कि क्रियात्सक पहलू पर जोन नहीं दिया जाता । नागरिक शास्त्र में क्रियात्मक पहलू का 'ंह। भावात्मक से अधिक है । इसीलिये इस शास्त्र की व्याख्या क्र ,




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