भारत विभूति | Bharat Vibhoti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भारत विभूति - Bharat Vibhoti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य एस० एन० सान्याल - Achary S. N. Sanyal

Add Infomation AboutAchary S. N. Sanyal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
: ६: १६०६ हु० में दादाभाई फिर [ कलकत्ता ] कोम्रेस के सभारवनि चुने गये । उस समय क अंस नरम शोर गरम दलों में पिभाजिन हो रगों थी» इसलिए दादाभाई जंसे सुद्द नेता की घ्रायम्यरुता थी 1 कांग्रेस का सभापति चुव लिये जाने श्रोर देशवाध्यि झे घप्रनिभ प्रेस प्रदर्शित करने पर दादाभाई ध्रन्तत. इंग्लंड से फिर स्यदेश लौटे । घस्बड सें वडी धूमधाम से श्ापका रवागत हुन्ा। उन टिनों भारत-+ सरकार की दमननीति से दृश का एक दल बिछुस्ध था । उसे दादामाए के सामयिक भाषण से चढी श्राशाएं बंधों । दादाभाट ने हम घधियरान में कांग्रेस के भावी कार्यक्रम धार ध्येय को स्पष्ट किया शोर उसरा सुन्दर दिग्दर्शन किया । १६०७ में दादाभाई फिर लन्दून गये। श्य प्यापकों पपस्था सर च्प की हो चुकी थी श्रार झपनो लम्यों श्वेत दाढ़ी शोर भप्यप सुर मरण्ढलयुक्त व्यक्तित्व से ध्ाप इंग्लेंट सें भी प्रतिष्ठा प्राप्त कर घुफे थे | श्रंग्रेज झापको “भरत का सहान चूद्ध पुरुष” [ गारठ 'घोल्ड सन आफ इरिडया ] कद्दा करते थे । छापकी 'धवस्था घर सधिक हो पुरी थी इसलिए विदेश का जलयायु अनुद्धन नहीं पटदा धार पार यीमार रद्दने लगे । चाध्य हो आपको स्वदेश लाटना पद । दर्यट शापर स्गाप 'अन्घपेरी के निकटरय सप्लुट्-तट चर्पावा पर रदने लगे । १६१४ हु० में चस्त्रडे विश्ववियालय ने दादाभाई को “डाक्टर श्ाफ लाएं [एल-एल ८ चो० | की उपाधि प्रदान की । ध्न्तततः ३० जून 5६१३७ इ० को झापफ सरोरांन १९ ये को यु सें हो गया । आर स्मिक जीवन दोदाभाई का जन्म यम्यई नगर सें ४ सितम्दर ६८२३ है० छो सुझ्मा था । उनके पिता पारस्यों के पुरोहित थे 1 यट चर उ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now