दर्शन और अनेकान्तवाद | Darshan Aur Anekantawad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अहम
अजिमगंज (मशिदाबाद) निवासी
हि
स्वर्गीय श्नीमान् बाबू डालचन्द जी सिंघी का
संकचित्त-परिचय ।
नाना 0 कि 9 टनननााणाणा्णन
कलकत्ते के मेसस, हरिसिंह निहालचन्द फर्म के मालिक
स्वनाम घन्य धनकुवेर श्रीमान् बाबू डालचंद जी सिंघी के समान
आदर्श रखने वाले व्यक्ति समाज में बहुत कम उपलब्ध होते हैं ।
आप एक कमंपरायण, उन्नत चेता और प्रामाणिकता के
अनुपम आदश थे । आप केवल सामान्य पजी सेनवाजशिज्य न्यव-
साय का कार्य आरम्भ कर अपनी काय पटुता ओर धर्मपरायणता
आदि गुणों के द्वारा एक पयाप्त धन सम्पत्ति के अधिकारी बने ।
इसके साथ २ आप में स्वदेश प्रेम, शिक्षानुराग और समाज
सेवा के भाव भी पूर्णतया विद्यमान थे । आपकी धर्मामिरुचि
प्रशंसनीय और अनुकरणीय थी । वदान्यता, अनुकम्पा और
परोपकार तो आप के एक प्रकार से सहचारी थे । इसीलिय
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