दर्शन और अनेकान्तवाद | Darshan Aur Anekantawad

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Darshan Aur Anekantawad by हंसराज शर्मा - Hansraj Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अहम अजिमगंज (मशिदाबाद) निवासी हि स्वर्गीय श्नीमान्‌ बाबू डालचन्द जी सिंघी का संकचित्त-परिचय । नाना 0 कि 9 टनननााणाणा्णन कलकत्ते के मेसस, हरिसिंह निहालचन्द फर्म के मालिक स्वनाम घन्य धनकुवेर श्रीमान्‌ बाबू डालचंद जी सिंघी के समान आदर्श रखने वाले व्यक्ति समाज में बहुत कम उपलब्ध होते हैं । आप एक कमंपरायण, उन्नत चेता और प्रामाणिकता के अनुपम आदश थे । आप केवल सामान्य पजी सेनवाजशिज्य न्यव- साय का कार्य आरम्भ कर अपनी काय पटुता ओर धर्मपरायणता आदि गुणों के द्वारा एक पयाप्त धन सम्पत्ति के अधिकारी बने । इसके साथ २ आप में स्वदेश प्रेम, शिक्षानुराग और समाज सेवा के भाव भी पूर्णतया विद्यमान थे । आपकी धर्मामिरुचि प्रशंसनीय और अनुकरणीय थी । वदान्यता, अनुकम्पा और परोपकार तो आप के एक प्रकार से सहचारी थे । इसीलिय




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