दर्शन और अनेकान्तवाद | Darshan Aur Anekantawad

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : दर्शन और अनेकान्तवाद  - Darshan Aur Anekantawad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हंसराज शर्मा - Hansraj Sharma

Add Infomation AboutHansraj Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अहम अजिमगंज (मशिदाबाद) निवासी हि स्वर्गीय श्नीमान्‌ बाबू डालचन्द जी सिंघी का संकचित्त-परिचय । नाना 0 कि 9 टनननााणाणा्णन कलकत्ते के मेसस, हरिसिंह निहालचन्द फर्म के मालिक स्वनाम घन्य धनकुवेर श्रीमान्‌ बाबू डालचंद जी सिंघी के समान आदर्श रखने वाले व्यक्ति समाज में बहुत कम उपलब्ध होते हैं । आप एक कमंपरायण, उन्नत चेता और प्रामाणिकता के अनुपम आदश थे । आप केवल सामान्य पजी सेनवाजशिज्य न्यव- साय का कार्य आरम्भ कर अपनी काय पटुता ओर धर्मपरायणता आदि गुणों के द्वारा एक पयाप्त धन सम्पत्ति के अधिकारी बने । इसके साथ २ आप में स्वदेश प्रेम, शिक्षानुराग और समाज सेवा के भाव भी पूर्णतया विद्यमान थे । आपकी धर्मामिरुचि प्रशंसनीय और अनुकरणीय थी । वदान्यता, अनुकम्पा और परोपकार तो आप के एक प्रकार से सहचारी थे । इसीलिय




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now