जल चिकित्सा अर्थात पानी का इलाज | Jal Chikitsa Arthat Pani Ka Ilaaj

Jal Chikitsa Arthat Pani Ka Ilaaj by युगलकिशोर - Yugalkishor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ ५ ) स्नान करने के घाद स्नान कर 'चुकने पर रोगी को 'चादिए कि वद्द कुछ देर त्तक संगा ही इघर उधर टहले अगर कमरा हो तो ख़िडकियां सब खोल ले । खुली जगदद और भी श्रच्छी दे । लेकिन यदद ध्यान रहे कि स्नान से ठडक होती है और उसके व.द खास कर जाढ़े में गरमी छाना अत्यंत आवश्यक है. । गर्मी लाने में देर या नुटि * करना मूखता है । स्नान के बाद ( जाड़े से ) घूप में बैठना या टददलना चाहिए या कोई आसन या शरीरिक व्यायाम करना श्वादिए श्रौर अगर ऐसा न दो तो रुई के विछीने या गरम कब में कुछ मिनिट रद्द कर गरमो लाना चाहिए । परन्तु सच से श्रेष्ठ व उत्तम सुलभ साधन गरमी लाने का धूप का स्नान है. याने स्नान कर घुकने पर कुछ सिनिट जब तक सुद्दावे धूप में नगे वढदन बैठ कर गरम होना चादिये । स्नान कितनी चार कितनी देर तक करना चाहिए ? स्नान का समय अधिकाश मौसम च रोगी के शरीरपर है । गरमी में यदद स्नान १५ व २० मिनिट तक किया जासकता है पन्तु जाड़े में दो तीन मिनिट ही किया जाना चाहिए इसी प्रकार बलवान पुरुप अधिक देर व कमजोर पुरुप थोड़े समय में दी स्नान कर चुकते हैं यद्दा पर भी इर एक मनुष्य को अपने अत करण की श्ञावाज पर ध्यान देना चादिए और उतनी दी देर यदद जल-स्नान करना चादिए जितनी देर सुद्दावे। अनिच्छा से या शधिक देर स्नान करना प्रति विरुद्ध श्राचरण है और इससे द्ानि हो सकती है ।




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