नागरीप्रचारिणी पत्रिका भाग - 1 | Nagaripracharini Patrika Bhag - 1
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राकू-कथन । रद
श्रादि के दी ठप्पे लगते थे । ई० सन पूर्व की पाँचवीं शताब्दी के
श्रास पास से लेसवाले सिक्के मिले हैं ।
शव तक सोने, चॉदी श्रौर तॉथे के लेखवाले हजारो सिक्षें मिल
चुके हैं श्रौर मिले जादे हैं । उनपर के छोटे छोटे लेख भी माचीन
इतिहास के लिये उपयोगी हैं। जिन चवशों के राजाओं के शिला-
हेखादि अधिक नद्दी मिलते दनकी सामावली का पता कभी कभी
सिक्कों से लग जाता दै, जैसे कि पंजाब के शरीक राजाओं का श्रव तक ,
केवल एक शिलालेख बेस नगर ( विदिशा ) से मिला है, जो राजा
एंटिस्रहिकडिस ( अतिलिकित ) के समय का है, परतु सिक्के २७
राजाशा के मिल घुके हैं, जिनसे उनके नाम मात्र माल्लूम होते हैं ।
चटि यहदी दै कि उनपर राजा के पिता का नाम तथा सैवत् नददीं है ।
इससे उनका वशक्रम स्थिर नहीं हो सझफता । पश्चिमी क्त्रपों के भी
शिलालेख थोड़े दी मिलते हैं । परतु उनके इजारा सिक्कों पर राजा
(या शासक 9 शैर उसके पिता का नाम तथा सवत्् होने से उनकी
चशावली सिक्कों से ही वन जाती है । शुप्रवंशी राजाओ के इ० सन की
चौथी श्रौर पॉचवीं शताब्दी के सिक्कों पर मिन्न सिन्न छद में लेख
मिलते हैं, जिनसे पाया जाता है कि सब से पदले दिदुओा ने 'ही श्रपने
सिफ्के कविताबद्ध लेखें मे श्रकित किए थे । प्रीक, शक श्रौर पार्थियन
राजात्रां के चघा कितने एक झुशनवशी श्रार चन्नप श्रादि विदेशी
राजाओ के सि्फों पर एक तरफ प्राचीन प्रीक लिपि में शरीक भाषा का
लेख श्रौर दूसरी श्रार बहुधा उसी श्राशय का प्राकृत भाषा का लेस
खरी्ली लिपि में होता था; परतु प्राचीन शुद्ध भारतीय सि्कों पर
ब्राह्मों लिपि के दी लेख हैं । ई० सन् नो तीसरी शताब्दी के श्वास पास
सिफो एव लेसा स्रे सराप्ठी लिपि, जा ईरानिया ने पजाय में चलाई
घीं, चठ गई ।
'झव तक झीक ( यूनानी ), शक, पार्थियन, कुशन ( तुर्क ), साववादन
(साध ), चत्रप, श्रादुवर, कुनिद, झाघ, गुप्त, न्ैदूटर, बोधि,
मौसरी, मैंतक, हण, परिप्राजक, 'वैद्दान, प्रतिद्वार, यौद्धेय, सोलंकी,
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