सुदर्शन सेठ को व्याक्यान | Sudarsan Sath Ko Vyakyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुदर्शन सेठ च्सो व्याख्यान । श्श
771 क० । आग पाछल सोचे नवी रे ठाठ, एहवी छ॑ नार
/ दा अजोग 1 क० ॥ रै० ॥
॥ दोहा ॥
जेहने जेहवी इच्छा उपनें, तेदिज करे उपाय ।
विगड़ो भावें सुधरो, भाव ज्यूं होय जाय ॥ १॥
कपिठा विरहद व्यापी थकी, करें अनेक उपाय ।
दाव कोई ठागे नहीं, सेठ मिलण री चाहय ॥ २ ॥
कपिठा केरो थिरधणी, गयो किणही एक गांव |
सेठ छेवा ने दासी मोकली, झूड़ी वात चनाय ॥ ३ ॥
जे कर स्याही घोठिये, सात समुद्र जठ आण ।
कागद एतो आणिये, तीन लोक प्रमाण ॥ ४ ॥
सर चनस्पति आण ने, तेहनी कठम कराप ।
तिरिया केरा चरित्र ने. ठिख जो जुक्त लगयाय ॥ ४ ॥।
सर्व स्याही कागद ख्पे, करूम सचे खप जाय ।
वरिया चरित्र तो छे घणो, न लिर्पयों किंपी ठिखाय !1६1।
प्रिया में अबयुण घणा, भाप्या थी लिनराय ।
तंदुचियालिया अन्थ में, दीघा तिहां चताय ॥ ७ ॥
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