प्रारंभिक रचनाएँ | Prambhik Rachanayen

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Prambhik Rachanayen by बच्चन - Bacchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंगलारभम 'प्रियतम, मेंने बनने को तेरी सुंदर ग्रीवा का हार, ललित बहिन-सी कलियाँ छोड़ीं, भाई-से.... पल्लव सुकुमार, साथ-खेलते. फूल, खेलती- साथ तितलियाँ विविध प्रकार, गाद-खेलाते हुए... पिता-से पौधे का सु स्नेह झपार, मात-सी प्यारी क्यारी का सहज सलोंना, 'सरल डदुलार, बाल्य-सुलभ-चांचल्य चपलता छोड़ी, बेंधी नियम के तार, छाड़ा निज... क्रीड़ाशुभस्थली शुभ्र वाटिका का घर-द्वार; 'प्रियतम, बतला दे आकर्षक है क्यों इतना तेरा प्यार ! यान प० र




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