यति क्रिया मंजरी | Yati Kiriya Manjari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
412
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ यति-क्रिया-मंजरा
करवा न सलदददलयवयररटलयरटरदरलवदम टायर थरदनवनटसररमपतरनपन जाप नपरमस्वसथलचमनिवटाना राय
भिनिषेशकग्रदाद् । प्रभज्ज रेस्थावरनिश्चयेन च ते जगत्त-
रचमजिग्रहद्धवान् !1१७।। छुदादि दु:खप्रतिकारत: स्थितिन
चेन्द्रियाथंप्रभवाल्पसौख्यतः । ततो गुणों नास्ति च देह-
देहिनोरितीदसित्थ॑ भगवान् व्यजिन्नपदू ॥ १८ । जनो5-
तिलोलोइप्यनुबन्धदोषनों भयादकाये ष्विह ने प्रवत्तते !
इहा प्यमुत्राप्यनुब्रन्घदों पदित्कर्थ सुखे संमजती ति. चाब्रवीं तू
॥ १६ ॥ स चानुबन्धो5स्य जनस्य तापकुत्तपो भिवृ द्वि;
सुखतो न च स्थिति: । इति प्रभो ! लोकदित॑ यती भरत तते
भवानेव गति: सतां सत: ॥। २० ॥|
इत्यभिनन्द्नाजनस्तादमू 1 ४ |!
अन्व्थसंज्ञ: सुमतियु निस्स्वं स्वयं मत येन सुयुक्तिनातमू ।
यतश्च शेषेवु मतेषु नास्ति सब क्रियाकारफतत््व सिद्धि: २१
अनेकमेकं च॒तदेव तत्त्व भेदान्वयज्ञानमिंदं हि सत्यम् |
सूपोपचारो5न्यतरस्य लेप तच्छेपलोपो 58 ततीा5नुपाख्य
सह: क्थचित्तदसत्त्व शक्ति: खे ना स्ति पुष्य तरुपु प्रसिद्धम
सदं स्व भावच्यतमप्रभारं रच वाग्विस्वद्धं तच दृष्टितोडन्यत ॥
न सवधानिस्पमुदेत्यपेति न च क्रियाकारफमत्र युक्तमु ।
नेवासतों जन्म सतों न नाशों दीपस्त ५:पुदगलमाव तो डस्ति .
विधिनिर्परव कऋषचिदिष्टों पिवक्षपा मुरूयसुगाव्यवस्था ।
इति ग्रसी तिः सुमतेस्तदेयं मतिप्रवेक: स्तुवतो5स्तु नाथ । २४
इति सुमतिजिमस्त त्रम (1 3 2!
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