कलकत्ते का चमत्कार | Kalkate Ka Chamatkar

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Book Image : कलकत्ते का चमत्कार  - Kalkate Ka Chamatkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काइमीर-यात्रा ७ जरूर पेदा कर देगा । पर में आपके बिना यहा नही रहूगी। आपने ही मुझसे कहा है न कि ' में तुझे कभी अपनेसे अरूग नहीं करूंगा” ” तो फिर आप डॉक्टरोसे क्यो नही कहते कि मे लिसको जिसकी मरजीके खिलाफ अपनेसे अलग नहीं करूंगा? अुलटे आप तो यो कहते हे कि तु चाहे सो कर। और आप डॉक्टरोसे यह क्यो कहते हे कि जिस लड़कीको रुकनेके छिमें ललचालिये * ” मेरी लिस शुझलाहटसे बापूको हसी भा गभी और वे कहने लगे “में तो तेरी परीक्षा करता था।” आखिर कह भी दिया, ” लडकियोकी मरजीके खिलाफ में कुछ नहीं करना चाहता। जरूरत पड़ने पर में सख्त हो जाता हू । पर मिन लडकियोके साथ मुझे सख्त नहीं बनना है।” लिस तरह घूमते समय बात करनेका हमे अच्छा मौका सिल गया । घूमकर मालिश और स्नान । वादमे नौ वजे पड़ित काक मिलनें आये । करीब घटे भर रुके होंगे । बापूजीने खास करके फल ही खाये । यहाके फलोमें अमरूद जैसा अक फल होता है, जिसका नाम वबुगोदा है। यह बहुत मीठा और मुलायम होता है। सेव भी वड़े मीठे और लाल-लाल होते हैं । जिनके अलावा कच्चे अखरोट, वादाम और पिंझते जितने स्वादिष्ट होते हे कि हम खाया ही करे । वगीचेमें लिनको चुनते-चूनते वापूजी कहा करते हू“ बसी कुदरतके वीच जो लोग खाना पकानेंकी झझटमे पड़े, साग और दालमें मसाला डालकर स्वास्थ्यको




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