मनन | Manan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।
विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन् १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन् १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन् १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्३ [ “सत्यम?
जयाया जाता है । हमारा सत्यान्षरण उसका श्रेष्ठ साधन है ।
सत्य-शोघक एकांगी-संकीण॑ नहीं हो सकता । एक दल
में वन्द नहीं हो सकता । उसकी दृष्टि एकाग्र होगी, परन्तु
सहानुभूति व्यापक ।
ज्यों-ज्यों तुम सत्य की ओर बढ़ते जाओगे त्यों-त्यों तुम्हें
दूर की चाहें प्रत्यक्ष दीखने लगेंगी और तुम्द्दारे निष्चय में
दृढ़ता आती चली जायगी ।
सत्य व उचित वात के लिए हम जितना ही सहन करेंगे
उतना ही जनता की आत्मा को अधिक जागय्रत करेंगे । ः
कटु सत्य में हिसा व प्रतिहिसा ही नहीं, अभिमान भी
हैं । प्रेम के अतिरेक से सत्य में तीखापन आ सकता है, कटुता
तो द्ेष का ही प्रद्दन है ।
यदि में सत्य का सच्चा ग्राहक हूं और सत्य का कुछ-न-
कुछ अंग प्रत्येक में विद्यमान है, तो प्रत्येक वस्तु उस अंश तक
मेरे अनुकूल न होगी ?
यदि हम स्देव जाग्रत हैं तो प्रत्येक तफसील पर हमारो
ध्यान रहेंगा । छोटे-से-छोटे कर्तव्य की भी छूट हमसे न होगी ।
सत्य को यदि जीवन में उतारना है तो उसकी प्रत्येक तफ़-
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