हिंदी प्रवेशिका गद्यावली | Hindi Praveshika Gadhvali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पदमावती को कथा श्श्
में झनेक कष्टों को केलकर वह समुद्र-तट पर पहुँचा और
'गज़पति' की सहायता से उसने बोदहित लेकर समुद्र पार
करने का निश्चय किया। ज्ञार, खीर, दधि; उद्धि, सुरां,
किल-किला और मानर्सरोवर आदि सात समुद्रों को पार
करता हुआ वह सिंघल द्वीप में पहुँचा । वहाँ पर महादेव का
एक मंदिर था, ऊँ रतनसेन अपने साथियों के साथ बैठकर
तप करने लगा | शुक को उसने पद्मावती के पास भेज दिया ।
शुक ने जाते समय राजा से कहा कि व्संतपंचमी को पद्मावती
यहाँ पूजा करने झवेगी तब आपसे मेंट होगी ।
शुक को बहुत दिनों के बाद देखकर पद्मावती बड़ी प्रसन्न
हुई । हीरामन ने अपना सारा हाल कह सुनाया और रतनसेन
से पहुँचने का समाचार भी दिया । पद्मावती उस पर सुग्ध
हो गईं । उसने घतिक्ञा की कि राजा के गले में जयमाल डालूँगी ।
इसके पश्चात् शुक राजा के पास लौट आया । पद्मावती
दसंतपंचसी के दिन उस मद्दादेव के मंडप में पहुँची और उससे
राजा का साक्षात् हुआ, पर राजा उसे देखते ही मूर्च्छित हो
शया । उसके सूच्छित होने पर पद्मावती ने उसके वक्त: स्थल
पर चंदन से लिख दिया--“जोगी, तू अभी भिक्ता प्राप्त करने
योग्य नहीं है; तू ठीक समय पर सो जाता है ।” यह लिखकर
वच्च चली गई । ः
पदमावती के चले जाने पर राज्ञा को चेत हुआ । बह बहुत
पछुताने लगा । उसने प्राण देने का निश्चय किया । यह समा-
चार सुनकर सब देवता घबरा उठे । महादेव और पावेती ने
वेश बदलकर उसकी परीक्षा करने का निश्चय किया।
पावेती ने अप्सरा का रूप धारण किया और राजा से कटने
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