आत्मानंद स्तवनावली | Atmanand Stavanavali

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Atmanand Stavanavali by कर्पूर विजय जी महाराज - Karpoor Vijay Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खुच्ासिट ( & ) उदारता अने घमवाद्धिना समुज्ज्वल हृ्टांतो पुरा पाडछे अने ते उपरांत, जेओ चतुथेत्रत धारी रही; सपम-नियमनी खसुंद्रताना पाठों परि चयथी आने पुरा पाडछ, तेमने धन्यवाद आप्या बिना केस रही शकाय ! दासनदेव एवा धर्मंप्रेमी सहाय को, वाच- को अने उत्तेजकोलु श्रेय; करों । द्वितीयावत्तिमां भूल के भ्रांन्तिने स्थल न होय, छतां अमारा वाचकोानी उदारता उपर विश्वास राखी कहीए छोए के- करजों माफ अमारी पामर भ्रांतिओं, दिनचयामां प्रतिपगले जे थाय जो, मेहमानों आओ सनहें आ स्वीकारलों ।”” कपूरविजय । वनारस द्वितीय भाद्रपद शुक्क प्रतिपत्‌ एके नाणानण




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