भवभूति प्रणीत महावीर चरितम का आलोचनात्मक अध्ययन | Bhawabhuti Pranit Mahaviracharitam Ka Aalochanatmak Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भवभूति प्रणीत महावीर चरितम का आलोचनात्मक अध्ययन  - Bhawabhuti Pranit Mahaviracharitam Ka Aalochanatmak Adhyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सीमा श्रीवास्तव - Seema Srivastav

Add Infomation AboutSeema Srivastav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रथम अध्याय डे कल्हण तथा राजशेखर' ने भवभूति का ही नाम निर्दिष्ट किया है। किन्तु कविकृतियो की अन्तरग समीक्षा से उनकी “शिव' के प्रति अनन्य भक्ति प्रकट होती है। मालतीमाधवम्‌ के नान्दी श्लोक मे कवि ने भगवान्‌ शिव की स्तुति की है - चूडापीडकपालसड्कुलगलन्मन्दाकिनीवारयो विद्युत 4८८ करजप्शिस्करिच्यायाविमिश्रत्विष | पान्तु त्वामकठोरकेतकशिखासन्दिग्धमुग्धेन्दवो भूतेशस्य भुजगवल्लिवलयस्रड्नद्धजूटा जटा । | भवभूति के तीनो नाटकों का अभिनयस्थल कालप्रियानाथ भी उनकी शिवभक्ति का प्रकाशक है। इसी प्रकार “श्रीकण्ठपदलाउ्छन ' पद भी उनकी शिवभक्ति का अभिव्यब्जक है। श्रीकण्ठ भगवान्‌ 'शिव' का अपर नाम है।' कवि का नाम “भवभूति' है। (३). उपनाम भवभूति ने अपने नाटकों मे वश-परिचय देते समय अपने कूल का उपनाम उदुम्बर निर्दिष्ट किया है। प्रो० मिराशी के अनुसार डा० भण्डारकर, त्रिपुरारि तथा वीरराघव ने “उदुम्बर' पद का उल्लेख किया है, किन्तु जगद्धर ने “डम्बरनामान ' पद प्रयुक्त कर भ्रामक स्थिति उत्पन्न की है।' प्रो० मिराशी के मत मे उदुम्बर (गूलर) एक वृक्ष विशेष है, यह भवभूति का उपनाम नहीं हो सकता है। जगद्धर ने शकानिराकरणार्थ *डम्बरनामान ' पाठ कल्पित किया होगा। मिराशी के अनुसार महाराष्ट्र मे वृक्षविशिष के नामपूर्वक अनेक ग्राम विद्यमान हैं, यथा- अम्बेगॉव, चिन्कोली, पलसगॉँव आदि। यवतमाल जिले मे पेनगगा के उत्तरी तटवर्ती 'उमरखेद' नामक ग्राम मे भक्भूति के परिवार की कतिपय परम्पराये विद्यमान हैं, सम्मवत यह कवि का मूल स्थान है।' राजतरगिणी ४,१४४ बालरामायण १,८१६ मालतीमाधवम्‌ १.८१ उग्र कपर्दी श्रीकण्ठ शितिकण्ठ कपालभूत्‌। -अमरकोष १.८१, ३० उदुम्बरनामानो ब्रह्मवादिन प्रतिवसन्ति । -म्छर्रीस्स्‍प्पमू १/४-५ एवं सालतीमाधवम्‌ू १८ ४-५ १/ १ प्प्लओं छा शांजाधाी, नि 53-4 1जित, ? 55 द् अत 2 ०2 «0... -




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now