बिना कुंजी के खुले न ताला | Bin Kunji Ke Khule Na Tala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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2. सौभाग्य का बीज
शुद्ध आलम्बन साधना का आधार होता है। वह शुद्ध हो तो
पाधनाएँ भी शुद्ध हो सकती है, परन्तु यदि आधार ही कच्चा हो तो
मकान मजबूत नहीं हो सकता। नींव या आधार कमजोर है तो मकान का
ढाँचा सहारा किसका पायेगा ?
साधना के चार आयाम हमारे सामने आते हैं। वैसे तो
ज्ञान-दर्शन-चारित्र और तप के साथ दान-शील-तप और भावना भी चार
आयाम हैं। परन्तु इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता, क्योंकि लक्ष्य तो एक
ही है, रास्ता हम कोई भी चुनें। हाँ यह अवश्य है कि जब दान की बात
आती है तो उसके शुद्ध स्वरूप पर विचार करना भी अनिवार्य हो जाता
अतः: उस पर विचार कर लें।
दान की अनेक कोटियाँ हैं, पर सुपात्र दान महत्त्वपूर्ण दानों में
एक माना जाता है। आप कहेंगे महत्त्वपूर्ण में एक, इसका मतलब है
अन्य भी महत्वपूर्ण दान है। जैसे अनुकंपा दान या अभयदान। हाँ ये भी
श्रेष्ठदान है। अन्य दान भी गणना में आते हैं। जब हम फल की आकांक्षा
लेकर चलते हैं तो कामना बड़ी ऊँची होती है। चाह ऐसी रहेगी भले
वैसी के दर्शन भी नहीं किये हों। पर इतनी ऊँची चाह कभी उड़ान भर
भी सकेगी या नहीं, यह भी सोचा है ? भौतिक पदार्थ के प्रति कामना
होती है, वैसी ही आत्मिक सुख के प्रति भी बने तो व्यक्ति निहाल हो
जाये। पर ऐसा हो पाना बहुत मुश्किल होता है।
इस संदर्भ में अभयकुमार का प्रसंग भी महत्त्वपूर्ण है, अत: उसे
सुन ले। अभयकुमार की बुद्धि संसार में उलझने बाली नहीं थी। एक
बार भगवान महावीर से पूछा गया- *' भंते ! इस आरे में कौनसे अंतिम
सम्राट मोक्ष में जाएंगे ? कौनसे अंतिम राजा मोक्ष में जाने वाले हैं ?”'
भगवान ने कहा- उदायन सम्राट ही अंतिम सम्राट है जो मोक्ष में जाने |...
वाले हैं।''
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