निश्वास | Nishawas

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Nishawas by अमर सिंह - Amar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निर्कर स्वर में रो संग श्रपनी बीती कह... जाती; निज उर के भारी स्वर से ककर्ोर मचा रह जाती: उस्तकी तु में सटे लहरें विज्ञष्प . उर्मियां... चनतीं; वे सचल्ल-मचल, उठ-उठ गिर, निज में. करुणा सती |




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