गजेन्द्र व्याख्यान माला तीसरा भाग | Gajendra Vyakhyan Mala Teesra Bhaag

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Gajendra Vyakhyan Mala Teesra Bhaag by गजसिंह राठौड़ - Gajsingh Rathore

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गजसिंह राठौड़ - Gajsingh Rathore

Add Infomation AboutGajsingh Rathore

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१० 1 [ यजेन्द्र व्यार्यान माला परिग्रह । यहा स्थानाद्ध मे झ्रारम्भ को पहले स्थान पर रखा है श्रौर परिग्रह को दूसरे स्थान पर ! किन्तु सूयगडाद्ध मे पहले परिग्रह बताया गया है और फिर झारम्भ को दूसरा स्थान दिया है । परिग्रह के प्रकार सोचा जाय तो श्रारम्भ किस लिये करते है? परिग्रह के लिये । अगर परिग्रह नही हो, परिग्रह एकत्रित करने की भावना नहीं हो तो किसी भी व्यक्ति को झ्ारम्भ करने की श्रावश्यकता ही नहीं पढे | इसी लिये 'सु्रक़ृताज़' मे कहा है कि वन्ध का पहला कारण परिग्रह है । परिग्रह कसा” इसके सक्षेप मे भेद किये है--“चित्त- मतमचित्त वा” अर्थातु-सचित्त श्रौर अचित्त परिग्रह । नोट के कागज क्या है ? भ्रचित्त परित्रह । जो भाई सामायिक मे बैठे है, उनमे से कई एक के पास नोट होगे । माताए तो भ्रचित्त परिग्रह से खाली मिलेगी ही नहीं ।! सब के शरीर पर किसी न किसी प्रकार का जेवर अवश्य मिलेगा । ऐसा कोई भाई तो मिल सकता हैं, जिसके शरीर पर सोना नही हो पर इन देवियों मे से तो एक भी ऐसी नही मिलेगी, जिसके पास सोना नहीं हो। अगर इसी समय श्रापको १०-२० हजार रुपया इकट्ठा करना हो तो इतना श्रचित्त परित्रह दागीने यहा वहनो के पास है कि १०-२० हजार श्रासानी से यही इकट्ठे हो सकते हैं । वहिनें चलता फिरता बेक हैं । सचित्त परित्रह, भ्रचित्त परिप्रह श्रौर मिश्र परिग्रह-- थे परिग्रह के तीन भेद है। & या १० प्रकार के वे सब परित्रह इन तीन परिग्रहो में श्रा जाते है । किसी के पास दास, दासी, हाथी, घोडे, गाय, बैल श्रादि है--ये सब सचित्त परिग्रह है । सोना, चादी; जवाहरात, तावा, पीतल, लोहे भ्रादि का सामान, फर्नीचर, मकान, कोठी, वगले, कल, करखाने शभ्रादि ये सव भ्रचित्त परिग्रह है ! स॒जे-सजाये दास-दासी है, उनके शरीर पर जेवर है, सजा-सजाया घोडा है, सोने के दागीने पहना कर घोडे को शादी-व्याह में निकाला, इस प्रकार के दागीने से सुसज्जित घोड़े मिश्र परित्रह है । श्रापका चच्चा है, त्यौहार का दिन है, पाच-दस हजार के दागीने उसके यते




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now