उड़ते पत्ते | Udate Patte

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Udate Patte by देवीदयाल चतुर्वेदी मस्त - Devidayal Chaturvedi Mast

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२० उड़्ते पत्ते मानव पथशभ्रष्ट हो चुका है। वैज्ञानिक आविष्कारो का दुरुपयोग ही वह कर रहा है । सुमित्रा का मस्तिष्क भन्‍ना रहा था । वह अपनी मनोदशा को लेकर खीझ रही थी कि सहसा एक भटके के साथ कार खडी हो गई । इंस भकटके से सुमित्रा न प्रकृतिस्थ होते हुए देखा कि वह श्रीमती नागर के घर पहुँच चुकी है ।




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