इंग्लैंड का सांसदीय शासन | England Ka Sansdiy Shasan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'डिवय-प्रबेश द
अमुत्य बनाए रवने की पंक्ति को बुगल करती है । पूथ पुर की महतौ विशोषठा महू रही है
कि प्रायेक रख मैं अपने पूषदर्ती के जिशाम को डिना किसी विरोप बटिताई के स्वौार
किया ई क््योकि इससे रास्प की गीदें यपापूर्व सुम्विर रही हैं । अड भडिप्य का जो शप
हमारे सामने लाता है, उसमें वह विभेषता बदितिता से ही रह सती है। हमारी गटि-
जाइसों के थे तो निदान में ही और मे उपचार में ही दोनो दक्ी के बीच काई सापारमूत
समझौता है। समाजवादी जिन मिद्धातो का समेत करते हैं, उनका लय राग्य के स्थकप
को जिस्कुरू बदल देगा है । यही सही समाजबाहियों का यह भी खाग्रहू हैं कि परिशतन
की प्रकिया के साय ही सुपार मौ मावश्यक है । पूजौबादी समाज क डुप्लिकोच से इत
मुदारों की कीमत महपी होती है भौर १९३१ के समात इस सीमि का परिणाम यह हो
सपा है कि सम्पूर्व स्पापार अम्त-ब्यस्त हो जाय तथा देन की जर्ड-म्यबस्पा हिल सटे ।
कया ऐसे काबे कम के मतोईप्तामिक तताथ झौर दबाव प्रतिशिधिक कोभतज् थे लिए भारी
भी है? यदि इस प्रत्त का उत्तर 'हा' है हो यह सिद्ध हो जाता है कि बिरिप सदिभान
उप कप में जिसमें कि हम उसे जानते है आधिक घक्तियों के एक विशेष समागास्तर
बतुमुंज ( 021811टी0ड्रावएा ) की राजनोशिक पप्दावली में अभिस्पक्ति-माष
है। यदि प्रत बा उत्तर “ही” £ तो बिरिम समिधान बहू प्रबम सदिवात होगा जिसके
बारण भमाड के बप-सपटठत में दिस दिसी हिया द॑ परियर्टग समय हो सका
ग्रबमोचत स्थिति में समदौप सासन थो उसके परम्परागत सूप से अधिक समय तक
बनाएं रखेगा उचित मही रह जाता । ऐसी स्थिति में प्रतिशिषिक सासल एसा पासन
हो जाता है जो पूजीबाद के दिगास-काछ से तो उपयुषत रहता है परन्तु पूँजीबाद के
पतन-बार में मतुपयुषत प्रमाणित हाता है । इस समस्त विवेचन सै यह मी प्रकाए सिद्ध
हो चाता ई कि शासन कौ प्रणालिया कुछ विभिप्ट जाजिक सिद्धातों पर निर्मर रहदो हैँ
शौर जैसे ही थे आर्थिक सिद्धाल सूतस यग की आादप्मभताअं को पूरा सही कर पाते
शासन-पचाछिया मौ तिरोहित दा जाती इ ।
हम सह हमरण रस्वता चाहिए कि हम इगले में जित परिवतनी को देख रहे है
थे शावमौभिक है । थे परिवर्तन माषी सम्मावनाजों की दुष्टि से सामंतबाई से पूंजीबाइ
के सपम की शांति ही महत्त्वपूर्ण ह । बिरेयी में इन पाँरिगर्टना के परिभाम सबभ ही
सभटापत्त और कमी बसी ता ससदीय पड़ति क लिये प्राथधालक् रहे है । स्वर्य मुद्दो-
त्तर इपलेइ मे मी पे परिवतता के सुदूरगासी परिणाम दिलाई देते है । इन परिषतसों के
कफप्यगुप उदार बर् ( [७८51 ए०११६५) बम्त हा पदा है औौर उमका पइ मस्त
होना स्थायी ही प्रबौत होता हू । उदार दर के सदस्य यह जान गए हे कि यहि पूजीषाए
थी रघा ओर सपाजनाद कौ स्वीहृति के बीच किप्ठी एक को 'चुतत का समास
है हो उतपा उसका हो सही सम्पूर्ण राज का शिस पहल के साथ है । इतना ही तह
बधिकाए सदारबादियों ने अनुदार दल कौ जो सौगि अपताई ई उनका परिणाम
शाप्टौप सरकार वा 'तिर्माण' हुआ ईू। यह राप्टौय सर्वर बिराष कौ परम्परायत पद्धति
१ महा युद्ध से ाल्पय बम सहापय (१ १४-८) है।
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