षट्खण्डागम | Shatkhandagama

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समग्ररूपणासि अतसी प्रशस्ति डर शिष्य बुखुभूपण और उनके शिप्प डुछच दका भी उठ्लेप पाया जाता है। बढ उल्लेस इसप्रकार दे अविद्धरणोदिकएशनन्दी सैद्ान्तिकाण्यो्जनि पस्य होके | बौमारदेवयविवाशमिद्धिवानु से शाननिधि सथीर मा तर्यिप्य हुलमूपणाख्ययतिप शरिय्रवारॉनिधि स्सिद्धाठास्वुथिपारयों नठविनेयस्त'सधर्मों मदद । शर्दास्मोरइभासकर प्रधिहतवप्रपदया मभा चा्ावया मुनिराजपड़ितवर सडु्दकु दार्दय है सर्य झीडलमपगाण्यसुमुनेदिप्यों विनेयर्शुत रुपदृद््त पुल्याद्रदेषमुनिपस्पिद्धा तविधाणियि । यहा प्रभना दे, वलभूपण और दुछचयके बीच गुर शिप्प पाम्यशका स्पएट उद्देस है । पमनदियों सैद्धालिस साननिषि जार सपीर कहा हैं । फुउमूपणरों चारितपांनिति थोए हिंद्दाताम्ुपिपाएय, तथा कुड्चदरों विनेय, सदूयत और सिद्धातवियादियि कडा है। इस पाम्पत और इन पिशेषणोंसि उनके धनडा-प्रतिके अतीत प्रशस्तिमें उद्धिधित मुनियोसि अभिन्न दोपमें कोई सह नहीं रटना । शिलाठियद्ाग प्ननादिक शुोंमें इतना और विशेष्र जाना जाना है शि वे अगिदकण थे. अयात्‌ कर्ण ेदन सरकार दोनेते धूप दी बहुत भाल्पनमें वे दातित दोगये थे और इसठिए पौमाएबमती भी बहलाते ये । तथा पद भी जाना जाता दै हि उनके एक और शिष्य प्रभाचद्र पे, जो शब्दास्मोरदभास्वर आर प्रयित तरमप्रथफार थे । इसी शिलाठपमे इन मुनियेद्धि सर थे गण तथा आगे पीठेफी यु आर गुर परम्पद्श्य भी ज्ञान दो जाता टै । उेपें मौतमादि, मदनाह और उनके शिष्य चद्गुमव परत उसी अन्वयर हुए पनिद, बुन्दवु्द, उमास्वाति गद्धपिच्ठ, उनरे शिप्प बढासि्ट, उसी आधा पम्प समतमद्र, फिर देवनी सिने ययूद्धि धुस्पपाद और दिए अपटबरे उस्टेसे पथात्‌ बहा गया दै कि उक्त मुनीद सारे डपन कलेगाले मूलसप रिर नदिंगर और उसमें देशागण नामझा प्रमद दो गया। इस गण गोल्डाचाय नामके प्रसिद्ध मुनि हुए । ये गोस्टरेश भषिपति पे 1 हि, रियी फाएण यश सतार भयमीत दोडर उद्दोने दौसा धाएग वरडी पी । उनके शिष्य थीमत, प्रैगाप्ययोगी हुए और उनके शिप्य हुए उपयुक्त अपिडरा एपनस्टि सैदा लि बौमारदय, जो इसप्रेगार सूरत नदिगणातर्गत देशीगणो सिद्ध होते हैं । छेपें प्नदि, कुलभूपण और बुडच द्से आगेदी परम्परावय बरन इसप्ररार दिए गया है न दुठच ददेवरे दिप्य सपना दि मुनि हुए, जिद्दोन कोल्टापुर ( कप्दाएर 2 में टैप श्यापित किया। में भी राद्ध तायवराणगामी और 'चारितिचकेरवर थे, तदा उनके शव लिस्य थे




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