स्त्री कवि कौमुदी | Stree-kavi-komudi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
423
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ज्योतिप्रसाद मिश्र - Jyotiprasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खी-कवि-फौमुदी
बर्यों ज्यों लै सलिल चर “सेख' घोषे बार बार,
त्या त्यों बल 'ुदन के यार मुक्ति जात हैं ।
केयर के भाले केपी नाइर नदनवाले,
लोहू के पियाले कहूँ पानी ते 'अपात हैं ॥|
श्
चीस विधि 'आाडं दिन बारीये न पाएँ: और,
थादी काज वादी घर वॉसनि की थारी द्दै।
झेकु फिरि ऐैं कैद दै री दे जसोदा मार्दि
मा वै ृठि मार बसी 'और पहुँ दारी दे ॥
प्लेप' कह तुम सिसवों न कछु राम यादि)
भारी गरिदाइनु की सीये लेतु गारी है 1
सग लाइ मैया नेकु न्यारो न क दैया की नै,
बलन बलैयां तैके मैया बलिदारी दै ॥
दे
कीनी 'चादी 'बाहिली नदो दा एके चार छुम,
एक बार जाय तिदि छछ दर दीजिये
पे कही थावन सुद्देली सेज 'बावै लाल,
सीसन सिसैमी मेरी सीख सुनि लीजिये ॥
-झावन को नाम सुनि सावन किये दे नैत,
ब्यावन कई सुकैसे 'आाइ जाइ छीजिये।
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