कलम कुल्हाड़ा | Kalam Kulhada
श्रेणी : निबंध / Essay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र कलम-कुल्हाडा
लगानेका निश्चय करते हुए कहा कि हे परमात्मा, श्रपने दरबार में
तू 'झब दमके भी बोला ले |
नगरपालिका के कमेंचारी छोर सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकत्तों
जुद् भाढ लगानेवाले ने कहा--गाधीजी हरिजनों में सबसे बड़े
थे । वे हस लोगों के सबसे बड़े चौधरी थे । उनके न रहने के वाद
अब दस लोगोंकी रक्षा करनेवाला कोई न रद्दा !
पण्डित लछ्िमन पण्डा ने कहा कि गावीजी सच्चे गुरु थे ।
घिना उनकी एक सलाह के गउरमेण्ट ससुरी ठप रहती थी ।
उन्हींका इई सब परताप है कि शव मन्दिरो में सब कोई छोट वड
घुस पावत हैं । जेदका चजददसे चार पैसा दमनीं क झामदनी बढ़
गयी । गाधघीजी सब लोगों के लिए कुछ न कुछ कड़लन !
सिद्धी मलाइ ने कद्दा--गान्द्दीजी बहुत भारी मलाह थे ।
श्ाज वरसों से वे मुलुककी नौका खे रहे थे। उनपर हम सब लोगों
को घमण्ड है । श्गर उनके हाथ में देश की पतबार न रही दोती
तो 'झवतक सुलुक की नौका भेंमकधार मे दूवती होती ।
चिकित्सक शशि रोखर ने कददा दे--
गांधीजी न तो नेता थे, न मसीहा थे, न साधु थे, न मद्दात्मा
थे। नवे काप्रेसी थे शोर न उपदेशक थे । वे दुनिया के सबसे
बढ़े चिकित्सक थे । उनकी चिकित्सा के कुछ अनुभवों से मैं कुछ
व्याश्चये चकित हूँ । मिट्रीकी चिकित्सा के सम्बन्धमे खुद मेने उनसे
राय पृछी थी । मेंने उनसे जो जानकारी 'ओर चिकित्सा-प्रणाली
हासिल की, दुनिया के 'झन्य किसी चिकित्सक ने मुभकसे ऐसी
ध्यदूभुत चिकित्सा की कोई वात नहीं बतलायी । किसी को कुछ
माठछुम दही नहीं था । भोजन के सम्बन्ध में उनके सुमकाॉपर अमल
करने से खुद मेरा पीला शरीर लाल हो गया । संसार के सबसे
वडे चिकित्सक के स्वरगवास से दुनिया बहुत दरिद्र हो गयी |
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