भारत में अंगरेजी राज भाग - 2 | Bharat Men Aangareji Raj Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
723
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हर )
तेंतीसवाँ अध्याय
लाडे पमहर्स्ट
बरमा युद्ध का सूत्रपात - वरमा के इलाके में लूट मार--बरमा को
पराघीन करने की तजदीज़े--कसान ठ्यू की गिरफ्तारी--बरमी लाखि--
झासाम पर बरसी शासन--पहले बरसा युद्ध का प्रारम्भ--रगून में अंगरेज़ों
के साथ असहयोग--शझंगरेज़ी सेना की दुगंति--कलकते में तहलका--
महाबन्दूला की रंगून दापसी--हिन्दुस्तानी सिपाहियों के साथ अंगरेज़ों का
अजुचित ब्यवहार--वैरकपुर का हस्याकाणुड--बरमा में कम्पनी की साज़िशे--
महाबन्दूला की सव्यु--सुखह के लिए झंगरेज्ञों की उत्कण्ठा--रिशवततों से
भरतपुर की विज्य--बरमा के साथ सन्धि--दिल्ली सम्राट का अपमान ।
चुप्ठ १५४५-५०५४४
चौंतीसवाँ झध्याय
लाडे विलियम बेशिटक
कम्पनी की शासन नीति-- कुग॑ के साथ पहली सन्घि--युद्ध का
यहाना--कुरग के राजा की असमज्सता--कुग की स्वांघीनता का अन्त---
लूट का बटवारा--कछाद की रियासत का अन्त--मैसूर राज में हस्तक्षेप ---
जयपुर और जोधपुर--दिल्ली सम्राट--ग्वालियर--काँसी--इन्दौर--सिन्ध
और पश्टाब--सिन्धु नदी की सरवे रणजीलसिंह और बेश्टिक की
मु्ञाक्ात--बेशिटकू के शासन का सार--पुराने घरानों का नाश ।
पूष्ट १०७१-११५रे
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