भग्नदूत | Bhagan Doot

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Bhagan Doot by अज्ञेय - Agyey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दृष्टिकोण 'हा, यदि में दीपक होता !' कहता फिरता है मत्त पतड्व-- कितने ही मेरे जेसे हो दो जाते मुझ पर उत्सरग !' झिप झिप कर दीपक कहता है हाय पतड्मा में न हुआ ! मदमाती सी अग्िदिसा पर जल कर तन्मय में न हुआ !'! दिसम्बर, १९३०. कि




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