कौल - फैसल | Kaul Faisal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kaul Faisal by अबुल कलाम आज़ाद - Abul Kalam Aazadसैयद कासिम अली - Saiyad Kasim Ali

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

अबुल कलाम आज़ाद - Abul Kalam Aazad

No Information available about अबुल कलाम आज़ाद - Abul Kalam Aazad

Add Infomation AboutAbul Kalam Aazad

सैयद कासिम अली - Saiyad Kasim Ali

No Information available about सैयद कासिम अली - Saiyad Kasim Ali

Add Infomation AboutSaiyad Kasim Ali

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कौल-फंसल . हद सबसे बड़ी चीज़ 'कौल' श्र “झमल' (प्रतिज्ञा और अझनूसरण करना) की सच्चाई है, अर्थात्‌ हम जो कुछ कहा करते हैं समय पड़नेपर ठीक-ठीक वैसा ही वरन्‌ उससे भी ज्यादा कार्य रूपमें करके दिखाएँ । मौलानाने अपने विचार तथा कार्योंसे दिखा दिया कि वे समयपर श्रपनी कोई बात झ्रौर कोई दावा भी वापस नहीं लेना चाहते । एक नेता जब गवर्नेमेन्टके विरुद्ध अपना मत झऔर कार्य घारण करता है और सच्चाईके कहनेमें श्रपने श्रापको निडर श्रौर बेपरवाह बतलाता है, तो वह बार- बार प्रकट करता है कि वह हर तरहके बलिदानोंके लिये तैयार हैं तथा गवर्न॑मेण्टको चैलेज्ज देता हैं कि उसे जब चाहे गिरफ्तार कर लें । परन्तु जब गवर्नमेण्ट स्वयं उसी- के द्वारा चुने हुए एवम्‌ पसन्द किये हुए मार्गके भ्रतुसार उसे गिरफ्तारकर लेती है और अपने दृष्टिकोण तथा कानूनके अनुसार मुजरिम ठहराकर सज़ा दिलाना चाहती है, तो फिर उस समय सोना श्रग्नि पर तपने लगता है श्रौर खोटे-खरेकी पहचानकी घड़ी झ्रा जाती है । हम देखते हैं कि उस समय तीन प्रकारकी तबियतें तीन प्रकार की राहें तैयार करती हैं-- १. कुछ लोग वे हैं, जिनके जबानी दावोंके श्रन्दर कोई आदर, ईमान और सच्चाई नहीं होती । वे फौरन भ्रपने दावोंसे मुक्त हो जाते हैं, बदल भी जाते हैं श्ौर अपने कियेपर परुचाताप करके सर झुका देते हैं । यह सबसे नीचा दर्जा है । २. कुछ लोग वे हैं, जो उससे कुछ अँचा दर्जा रखते हैं। उनकी तबियत उस महत्वके गिर जानेको तो पसन्द नहीं करती परन्तु सज़ासे बचनेके लिये वे भी. व्याकुल होते हैं । इसलिये वे भी फौरन अपना विचार बदल देते हैं श्र श्रदालतमें प्रकट करने लगते हैं कि जो कुछ वे करते रहे हूं उसका मतलब वह नहीं है, जो गवर्नमेण्टने समझा हैं बल्कि कुछ दूसरा ही हैं। फिर तरह-तरहसे बातें बनाते हैं. कि जैसे विरोधीको भी अपना बनाना चाहते हों । कभी पुलिस श्रौर सी ० आई० डी० की रिपोर्टोंको बिल्कुल झूठा कह देते हूं, कभी श्रपने किये हुए और लिखे हुए




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now