श्री बाबू देवकुमार - स्मृति अंक जैन सिद्धान्त भास्कर भाग - 18 | Shri Babu Dev Kumar Smriti Ank Jain Siddhant Bhaskar Bhag - 18
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
537
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किरण ? 3 बायू देवकुमार जी की जीवनी
'चहुंदिक हाह्दाकार हे, शोक महां संताप |
बालवूद्ध बनिता बधू , सबहीं करत प्रलाप |!
न्श् । ये
घयं ९ ! ये भ्रात गण, यहीं जरात की रोत ।
काल बलीके सामने, कछुनहिं नीत श्नीत ॥।
माया जगकी अमित है, यह संसार असार।
एक दिना सब जायेंगे, यहीं जगत व्यवहार ॥।
विभव सदा नहि रहि सके, तथा शरोर अनित्त ।
काल सदा सिर पर खड़ी, धर्महि दीज चित्त ॥)
मृत्यु जबलों दूर है, जब लों देह निरोग |
घमंपन्थ साधन करो, वृथा जगतको भोग ॥।
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