प्रिंस बिस्मार्क | Prince Bismark
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा परिच्छेद
कुछ तथा जन्म
विस्माकंवंश जर्मनी में बहुत पुराना था । जमंनीके वर्तमान शासक होहिन:
जोलन जब अभी राज्य का सपना भी न देख रहे थे, यह वेश उसी समय से
अपनी माठृभूमि के युद्धों में भाग लेता था । यह वंश जबसे लोगों में प्रसिद्ध
हुआ, तबसे योद्धा ही रहा । विस्माकें वंश के मायः सभी बड़े २ आदमी युद्ध
में मरे, अथवा अपना जीवन उन्होंने तलवार की सेवा में बिताया । अपनी
जुमीन्दारी से पेट भरना और लड़ाई कड़ना, बस ये दो ही मुख्य कार्य 'थे,
जिसे बिस्माक॑ ठोग किया करते थे । चरित' नायक प्रिंसबिस्माक॑ का पढ़दादा
महान् फूडरिक के लड़ाकू सर्दारों में से था । कहते हैं कि वह बड़ा प्रबल लड़ाकू,
बड़ा प्रबल शिकारी, और साथी उन्मत्त शराबी था । यह आशइचय की बात है,
कि प्रिंस बिस्मार्क की सूरत शक्ल अपने पूर्व पुरुषाओं में -से सब से ज्यादा
अपने पड़दादा से ही मिलती थी | प्रिंसबिस्मा्क॑ माय? कहा करता था. कि जब
में अपने पड़दादा की तस्वीर के सामने खड़ा होता हूं तो मुझे वंह अपना फोट़ू
दिखता है ।
प्रिंसबिस्मार्क के पिता का पूरा चाम कार्ट विल्हस्म फेडिकिफोन.-बिस्मार्क
था । अपने कुछ क्रमानुसार यह भी पहले सेना में ही भर्ती हुआ । किन्ठ बहुत
शीघ्र ही सेना की रोज की तुरही से इसके कान थक गये । लड़ाई का काम
छोड़कर उसने अपनी जमीन्दारी पर ही संतोष किया । अपने पूर्व पुरुषाओं से
बिस्मार्क के पिता ने शोनहोजन आमकी जमीन्दारी प्राप्तकी थी । एक सन्तोषी
और गहरी दृष्टि रखने वाठे जर्मन वासी की तरह, वह शोनहोजन में ही दिन
बिताने लगा । उसका सुख्म जीवन शिकार खेढने, शराब पीने और अपनी
खेती की देखभाल करने में ही गुजरने ढगा ।
अपनी जुर्मीदारी का आनन्द छूटते हुए ही उसे अपने जीवन की संगिनी
भिली । फोठिन मोन्किन नामकी कन्या, जिससे बिस्मार्क ने शादी को एक बड़े
User Reviews
No Reviews | Add Yours...